
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 हाल ही में भारत के दोनों सदनों में पारित हुआ है और अब देर है तो सिर्फ राष्ट्रपति की मुहर की जिसके बाद ये विधेयक कानून बन जाएगा। जबसे वक्फ संशोधन बिल का मुद्दा उठा है पूरे देश में हलचल मची हुई है, जहां कुछ लोग इसे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार के लिए जरूरी मान रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो इसे असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। आइए समझते हैं कि वक्फ क्या है, इस विधेयक में क्या बदलाव प्रस्तावित हैं, और यह इतना विवादास्पद क्यों बन गया है।
वक्फ क्या है?

संशोधित वक्फ़ बिल से ग़रीब मुसलमानों का होगा भला: विद्यार्थी संगठन
संशोधित वक्फ़ बिल से ग़रीब मुसलमानों का होगा भला: विद्यार्थी संगठन
वक्फ इस्लाम धर्म की एक परंपरा है जिसमें कोई व्यक्ति अल्लाह के नाम पर धार्मिक, सामाजिक, या कल्याणकारी कार्यों के लिए अपनी संपत्ति को दान कर देता कर है। वक्फ संपत्तियों में जमीन, इमारतें, या अन्य संपत्तियां शामिल हो सकती हैं, जिनका इस्तेमाल मस्जिदों, स्कूलों, या गरीबों की मदद के लिए किया जाता है और एक बार दान करने के बाद इस संपत्ति को न तो खरीद जा सकता है न ही बेचा जा सकता है।
इन सब की देख रेख के लिए सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउन्सल बनाया गया है, जो एक ऑटोनॉमस बॉडी है। देश में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं जो इन संपतियों की सुरक्षा और देखरेख करते हैं। आपको बता दें की भारत में रेलवे और सेना के बाद वक्फ ही ऐसी बॉडी है जिसके बाद सबसे ज्यादा जमीन है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में करीब 8.7 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हैं। लेकिन समस्या यह है कि इन संपत्तियों पर अवैध कब्जे और गड़बड़ियां आम हैं।
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वक्फ संशोधन विधेयक 2025 में क्या बदलाव हैं?

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 वक्फ एक्ट 1995 को बदलने की कोशिश करता है। सरकार का दावा है कि यह पुराने कानून की खामियों को दूर करेगा और वक्फ प्रणाली को मजबूत करेगा। सरकार की मानें तो वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना है, जिसमें विरासत स्थलों की सुरक्षा और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के प्रावधान हैं। विधेयक मुस्लिम महिलाओं, विशेष रूप से विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार करने का भी प्रयास करता है। विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड को अधिक समावेशी बनाना है, जिसमें बेहतर वक्फ प्रशासन और निर्णय लेने के लिए विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों का प्रतिनिधित्व हो। वक्फ (संशोधन) वक्फ प्रशासन के लिए एक धर्मनिरपेक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली स्थापित करता है। ये हैं इस बिल के अहम प्रावधान:
1. अवैध कब्जों पर शिकंजा:
इसके अंतर्गत वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वालों को हटाया जाएगा या उनसे बाजार दर पर किराया लिया जाएगा और इस पैसे का इस्तेमाल गरीब मुसलमानों के कल्याण के लिए होगा। उदाहरण के लिए, कई जगह वक्फ की जमीनों से नाममात्र किराया मिलता है, जैसे 1500 रुपये, जबकि उसकी कीमत 20-25 हजार हो सकती है।
2. ‘वक्फ बाय यूजर’ का खात्मा:
पहले अगर कोई संपत्ति लंबे समय तक वक्फ के तौर पर इस्तेमाल होती थी—जैसे मस्जिद या कब्रिस्तान—तो उसे वक्फ मान लिया जाता था, भले ही कागजात न हों। इस विधेयक के लागू होने के बाद यह नियम हट जाएगा और मालिकाना हक साबित करने के लिए वैध दस्तावेज जरूरी होंगे।
3. डिजिटल रजिस्ट्रेशन और पारदर्शिता:
हर वक्फ संपत्ति का पंजीकरण अनिवार्य होगा, और उसकी पूरी डिटेल ऑनलाइन डेटाबेस में डाली जाएगी। सरकार का कहना है कि इससे भ्रष्टाचार रुकेगा और संपत्तियों का सही हिसाब रखा जा सकेगा।
4. गैर-मुस्लिमों की एंट्री:
वक्फ संशोधन विधेयक नए विधेयक में वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल में अब गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है। यह बदलाव सबसे ज्यादा विवाद में है, क्योंकि पहले ये बोर्ड पूरी तरह मुस्लिम प्रतिनिधियों के अधीन थे।
5. महिलाओं को हक:
बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं—खासकर विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं—की भागीदारी जरूरी होगी। साथ ही, वक्फ के नाम पर महिलाओं को उनकी पैतृक संपत्ति से वंचित करने पर रोक लगेगी।
6. विवादों का कोर्ट रास्ता:
अगर कोई संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ बताया गया हो, तो उसे अब रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट, या हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। पहले यह अधिकार सीमित था।
7. पांच साल का नियम:
वक्फ बनाने के लिए अब व्यक्ति को कम से कम पांच साल से मुस्लिम होना जरूरी है। इससे गैर-मुस्लिमों या हाल ही में धर्म परिवर्तन करने वालों पर रोक लगेगी।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह बिल कानून बन सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में चुनौती और जनता का विरोध इसे लागू करने में बड़ी बाधा बन सकता है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियां देश की एक बड़ी धरोहर हैं, और इनके प्रबंधन में सुधार की जरूरत से कोई इनकार नहीं कर सकता। जहां सरकार इसे “सबका साथ, सबका विकास” का हिस्सा बता रही है, विपक्ष इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का हथियार बता रहा है। यह बिल वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण और पारदर्शिता का वादा करता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सच में कुछ बदलाब लेकर आएगा या फिर नए विवादों को जन्म देगा।