
नई दिल्ली, 28 मई 2025
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज देश के बुनियादी ढांचे, कृषि क्षेत्र और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाली चार महत्वपूर्ण पहलों को मंजूरी दी। इनमें भारतीय रेल की मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएं, आंध्र प्रदेश में बडवेल-नेल्लोर राजमार्ग का निर्माण, खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, और वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) को जारी रखना शामिल हैं। ये कदम लॉजिस्टिक दक्षता, पर्यावरण संरक्षण, किसानों की आय बढ़ाने, और ग्रामीण ऋण प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे, जिससे क्षेत्रीय विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। ये पहलें भारत के बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक दक्षता, और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के साथ-साथ प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करेंगी।
1. भारतीय रेल की मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएं
मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भारतीय रेल की दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनमें रतलाम-नागदा तीसरी और चौथी लाइन, और वर्धा-बल्हारशाह चौथी लाइन शामिल हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 3,399 करोड़ रुपये है, और इन्हें 2029-30 तक पूरा किया जाएगा। ये परियोजनाएं पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत 176 किलोमीटर रेल नेटवर्क का विस्तार करेंगी, जो 784 गांवों और 19.74 लाख लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
ये परियोजनाएं कोयला, सीमेंट, कृषि उत्पादों और पेट्रोलियम जैसे सामानों की ढुलाई के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिससे 18.40 मिलियन टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई संभव होगी। इससे लॉजिस्टिक लागत, 20 करोड़ लीटर तेल आयात, और 99 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, जो 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। साथ ही, इन परियोजनाओं से 74 लाख मानव-दिवसों का प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा।
2. आंध्र प्रदेश में बडवेल-नेल्लोर 4-लेन राजमार्ग
मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश में एनएच-67 पर 108.134 किलोमीटर लंबे बडवेल-नेल्लोर कॉरिडोर के निर्माण को डिजाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर (डीबीएफओटी) मोड में 3,653.10 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी। यह कॉरिडोर विशाखापत्तनम-चेन्नई, हैदराबाद-बेंगलुरु, और चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक कॉरिडोर को जोड़ेगा, साथ ही कृष्णापट्टनम बंदरगाह को रणनीतिक कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
इस परियोजना से यात्रा दूरी 33.9 किलोमीटर कम होकर 108.13 किलोमीटर रह जाएगी, जिससे यात्रा समय में एक घंटे की बचत होगी। यह ईंधन खपत, कार्बन उत्सर्जन, और वाहन परिचालन लागत को कम करेगा। परियोजना से 20 लाख प्रत्यक्ष और 23 लाख अप्रत्यक्ष कार्य-दिवसों का रोजगार सृजित होगा, जिससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
3. खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि
मंत्रिमंडल ने विपणन सीजन 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी। सबसे अधिक वृद्धि रामतिल (820 रुपये प्रति क्विंटल), रागी (596 रुपये प्रति क्विंटल), कपास (589 रुपये प्रति क्विंटल), और तिल (579 रुपये प्रति क्विंटल) के लिए की गई है। यह कदम किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।
4. संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) को मंजूरी
मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) के तहत 1.5 प्रतिशत ब्याज छूट (आईएस) घटक को जारी रखने और आवश्यक निधि व्यवस्था को मंजूरी दी। यह केंद्रीय क्षेत्र की योजना किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से किसानों को 7 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक के अल्पकालिक ऋण प्रदान करती है, जिसमें ऋण देने वाली संस्थाओं को 1.5 प्रतिशत ब्याज छूट दी जाती है। समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को 3 प्रतिशत का शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) मिलता है, जिससे प्रभावी ब्याज दर 4 प्रतिशत हो जाती है। पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए ऋण पर ब्याज लाभ 2 लाख रुपये तक लागू है।
देश में 7.75 करोड़ से अधिक केसीसी खाते हैं, और यह योजना कृषि के लिए संस्थागत ऋण प्रवाह को बनाए रखने, उत्पादकता बढ़ाने, और छोटे-सीमांत किसानों के लिए वित्तीय समावेशन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है। वर्ष 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2024 तक केसीसी के माध्यम से 10.05 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरण हुआ है, जबकि समग्र कृषि ऋण प्रवाह 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 25.49 लाख करोड़ रुपये हो गया। अगस्त 2023 में शुरू किए गए किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) जैसे डिजिटल सुधारों ने दावा प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाई है। यह निर्णय किसानों की आय दोगुना करने और ग्रामीण ऋण इको-सिस्टम को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।