
Sensor board Scissor: प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की फिल्म ‘फुले’ हाल ही में विवादों के बीच सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। अनंत महादेवन द्वारा निर्देशित यह फिल्म सामाजिक कार्यकर्ता ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है। हालांकि फिल्म को लेकर खासा विवाद खड़ा हो गया था। ब्राह्मण समुदाय ने फिल्म पर उनके खिलाफ अपमानजनक दृश्य दिखाने का आरोप लगाया और विरोध प्रदर्शन किए, जिसके चलते सेंसर बोर्ड ने फिल्म में कई कट लगाने के बाद इसे रिलीज़ की मंजूरी दी।
दरअसल, ‘फुले’ पहली बार 10 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विवादों के चलते इसकी रिलीज़ टाल दी गई और यह अंततः 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में पहुंची। फिल्म को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप का इस मुद्दे पर बयान भी विवादों में रहा।
‘फुले’ के अलावा भी कई फिल्में इस साल विवादों का सामना कर चुकी हैं। विक्की कौशल और रश्मिका मंदाना की ‘छावा’, जो शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, लंबे समय तक विरोध की आग में घिरी रही। फिल्म के ट्रेलर में दिखाए गए एक गाने में संभाजी महाराज को नाचते हुए दिखाया गया, जिसे कई संगठनों ने ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ बताया। महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में विरोध हुआ और सेंसर बोर्ड ने इसमें भी कई कट लगाए। बावजूद इसके, फिल्म ने 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर साल 2025 की सबसे बड़ी हिट बन गई।
एक और विवादित फिल्म रही ‘जाट’, जिसमें सनी देओल, रणदीप हुड्डा और सैयामी खेर जैसे सितारे नजर आए। यह एक एक्शन फिल्म है, जिसे 10 अप्रैल को रिलीज किया गया। फिल्म के एक सीन को लेकर ईसाई समुदाय ने विरोध जताया और आरोप लगाया कि उसमें उनके धर्म का अपमान किया गया है। इसके चलते एफआईआर भी दर्ज हुई, लेकिन बाद में मेकर्स ने विवादित सीन को हटा दिया। फिल्म ने इसके बावजूद शानदार प्रदर्शन करते हुए 100 करोड़ क्लब में एंट्री कर ली।
वहीं, कंगना रनौत की ‘इमरजेंसी’ भी विवाद से अछूती नहीं रही। 17 जनवरी को रिलीज़ हुई यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन और 1975 में लगाए गए आपातकाल पर आधारित है। कंगना ने फिल्म में अभिनय के साथ-साथ निर्देशन भी किया है। फिल्म पर ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ के आरोप लगे, लेकिन कंगना के अभिनय की खूब सराहना हुई। हालांकि, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सकी।
इन सभी फिल्मों ने यह दिखा दिया कि ऐतिहासिक या संवेदनशील सामाजिक मुद्दों पर आधारित कहानियां न केवल दर्शकों का ध्यान खींचती हैं, बल्कि साथ ही विवादों की चपेट में भी आ सकती हैं।