
नई दिल्ली, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, रेलवे और सूचना व प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज नई दिल्ली में आयोजित “भारत एआई मिशन” के कार्यक्रम में भाग लिया और “भारत में एआई बनाएं, भारत के लिए एआई काम करे” विषय पर एक जोशपूर्ण और प्रेरणादायक भाषण दिया।
अपने संबोधन में उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की बदलती दुनिया में भारत की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि किस प्रकार भारत एआई मिशन के माध्यम से न केवल तकनीक को लोकतांत्रिक बना रहा है, बल्कि देश को वैश्विक एआई नेतृत्व की ओर अग्रसर भी कर रहा है।
भारत के लिए एआई में बड़ी छलांग
मंत्री ने बताया कि देश की तीन अग्रणी टीमों को आधारभूत एआई मॉडल विकसित करने के लिए चुना गया है। उन्होंने इन टीमों की तुलना पहले से कार्यरत “सर्वम” मॉडल से की और उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में विश्व के टॉप 5 में आने का लक्ष्य देने की बात कही। उन्होंने कहा, “एक टीम ने अपने क्षेत्र में नंबर एक या दो बनने की इच्छा व्यक्त की है। यही जज्बा भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाएगा।”
एआई के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा
श्री वैष्णव ने एआई मिशन के लिए बनाए गए व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र की जानकारी दी, जिसमें कंप्यूटिंग संसाधन, सुरक्षा, डेटासेट और अनुसंधान शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 10,000 जीपीयू की मूल योजना को पार करते हुए अब तक 36,000 जीपीयू जुटा लिए गए हैं, जिनमें से 18,693 तैनात हो चुके हैं और 16,000 जीपीयू की आज घोषणा की गई है।
उन्होंने जोर दिया कि एआई तकनीक समाज के हर वर्ग तक पहुंचे, यह प्रधानमंत्री मोदी के “टेक्नोलॉजी फॉर ऑल” दृष्टिकोण का हिस्सा है।

डेटा और ऐप पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी
मंत्री ने बताया कि भारत के स्वयं के डेटासेट प्लेटफॉर्म “एआईकोश” पर अब तक 367 डेटासेट अपलोड हो चुके हैं, जिससे एआई के क्षेत्र में समावेशी विकास को बढ़ावा मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि कई एआई आधारित ऐप्स पर कार्य चल रहा है और आने वाले समय में इनकी प्रतियोगिताओं के विजेताओं की घोषणा की जाएगी।
वैश्विक मंच पर भारत का विशिष्ट दृष्टिकोण
श्री वैष्णव ने भारत के टेक्नो-कानूनी दृष्टिकोण पर जोर दिया जिसमें तकनीकी नवाचारों को कानूनी ढांचे से जोड़कर उन्हें सुरक्षित और नैतिक बनाया गया है। उन्होंने मिशन के तहत डीपफेक पहचान, पक्षपात नियंत्रण और मशीन अनलर्निंग जैसे पहलुओं पर काम किए जाने की जानकारी दी।
प्रतिभा निर्माण और ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलना
उन्होंने कहा कि भारत की अत्याधुनिक परियोजनाएं विदेशों में बसे भारतीय इंजीनियरों को देश में वापस लाने के लिए प्रेरित करेंगी। साथ ही पीएचडी प्रोग्राम और स्किल डेवलपमेंट योजनाएं भी जल्द शुरू की जाएंगी, जिससे देश में एआई के लिए मजबूत मानव संसाधन तैयार हो सके।
एआई का सामाजिक क्षेत्रों में प्रभाव
मंत्री ने बताया कि एआई कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और जलवायु जैसे अहम क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। उन्होंने उद्योग, सरकार और शिक्षा जगत से मिलकर काम करने की अपील की। “एआई अब अस्थायी नहीं, स्थायी है — हमें इसे अवसर के रूप में अपनाना होगा, न कि चुनौती मानकर पीछे हटना होगा,” उन्होंने कहा।
भारत एआई के वैश्विक केंद्र के रूप में
कार्यक्रम में राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों ने भाग लिया। इस अवसर पर भारत एआई कंप्यूट पोर्टल, एआईकोश और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे स्टेशन एफ और गेट्स फाउंडेशन के साथ साझेदारी की घोषणा की गई, जो भारत को एआई में वैश्विक नेतृत्व दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
एआई केवल तकनीक नहीं, अवसर का माध्यम है
अपने समापन भाषण में श्री वैष्णव ने कहा, “भारत एआई मिशन केवल तकनीकी उन्नति का माध्यम नहीं है, यह समाज के हर वर्ग के लिए नवाचार और समृद्धि के नए अवसरों का द्वार है — जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण में झलकता है।”