
लहसून को फल-सब्जी की श्रेणी से हटाया, आढ़त वसूली पर पूरी तरह रोक
नई दिल्ली/इंदौर, देशभर के किसानों के लिए एक बड़ी राहत का समाचार आया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने ऐतिहासिक फैसले में स्पष्ट किया कि लहसून को फल और सब्जी मानकर उस पर आढ़त वसूली जाना पूरी तरह से अवैध है। यह फैसला एक किसान और व्यापारी श्री मुकेश सोमानी की 19 साल की संघर्ष और न्याय के प्रति अडिग विश्वास का परिणाम है।
फैसले की मुख्य बातें:
- मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड का आदेश रद्द: 13 फरवरी 2015 को जारी मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड का वह आदेश, जिसमें लहसून को फल और सब्जी की तरह नीलाम करने का निर्देश दिया गया था, सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया।
- लहसून मसालों की श्रेणी में: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लहसून मसालों की श्रेणी में आता है, इसलिए इसे फल और सब्जी की तरह बेचना और उस पर आढ़त लगाना गैरकानूनी है।
- अवैध आढ़त वसूली पर रोक: इससे पहले, मंडियों में पिछले 9 वर्षों से रोजाना लगभग 2 करोड़ रुपये की अवैध आढ़त किसानों से वसूली जा रही थी, जिसे अब पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है।
संघर्ष की शुरुआत:
2006 में श्री मुकेश सोमानी ने देखा कि मध्यप्रदेश की 258 मंडियों में से केवल 4 मंडियों में आढ़त प्रथा लागू है, जबकि बाकी 254 मंडियों में सरकारी व्यवस्था के अनुसार व्यापार हो रहा था। इस असमान व्यवस्था को देखते हुए उन्होंने किसानों के आर्थिक शोषण के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की।
श्री सोमानी की लड़ाई में उनके साथ अधिवक्ता श्री अभिषेक तुगनावत ने निरंतर समर्थन दिया और संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दिया।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा:
यह मामला मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां श्री सोमानी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. हर्ष पाठक और श्री अभिषेक तुगनावत ने की। इसके परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश के किसानों को आढ़तियों द्वारा की जा रही अवैध वसूली से मुक्ति मिली।
अगला संघर्ष: किसानों का हक़ वापस दिलाने की लड़ाई
श्री मुकेश सोमानी ने कहा, “यह सिर्फ कानूनी जीत नहीं है, यह किसानों की इज्जत की वापसी है। अब हमारी लड़ाई इस बात के लिए होगी कि 2016 से लेकर 2025 तक लहसून पर जो लगभग 20,000 करोड़ रुपये की अवैध आढ़त वसूली गई है, वह किसानों को वापस मिले।”
इसके साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि उनका अगला लक्ष्य मध्यप्रदेश में प्याज पर लागू की गई 5% आढ़त व्यवस्था को समाप्त कराना है, ताकि किसानों को और लूटा न जा सके।
यह जीत केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे किसान समाज की जीत है। श्री मुकेश सोमानी और श्री अभिषेक तुगनावत ने यह साबित कर दिया कि अगर किसान जागरूक हो और संगठित होकर संघर्ष करे, तो कानून भी उसका साथ देता है और व्यवस्था को झुकना पड़ता है।