
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार के फैसले को संवैधानिक ठहराया; डॉ. के.ए. पॉल ने कहा — यह समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम है।
नई दिल्ली: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आज तेलंगाना सरकार के नगरपालिकाओं और पंचायतों में बी.सी. के लिए 42% आरक्षण बढ़ाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद स्थानीय निकायों में कुल आरक्षण 67% हो गया। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कोर्ट 3 में की।
डॉ. के.ए. पॉल, जो दशकों से तेलंगाना में बी.सी. अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ने कहा कि यह फैसला अनुच्छेद 14 के तहत सभी नागरिकों की समानता को मजबूत करता है और बी.सी. समुदायों के लिए ऐतिहासिक जीत है। उन्होंने न्यायपालिका के प्रति सम्मान बनाए रखने का भी आह्वान किया और कहा कि बी.सी. समुदायों को एकजुट होना चाहिए।
डॉ. पॉल ने कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि पिछले 79 वर्षों में किसी बी.सी. को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया गया, जबकि 5% से कम आबादी वाले रेड्डी समुदाय को लगातार प्राथमिकता मिली। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में 42% आरक्षण दशकों की उपेक्षा को सुधारने का कदम है और बी.सी. समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
उन्होंने राजनीतिक दलों से अनुरोध किया कि संवैधानिक अधिकारों को राजनीतिक सशक्तिकरण में बदलें और बी.सी. नेताओं को उनके जनसांख्यिकीय अनुपात के अनुसार महत्वपूर्ण पद दिए जाएँ।