सवाई माधोपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने सर्वाइकल कैंसर रोकथाम हेतु एचपीवी टीकाकरण के महत्व पर जोर देते हुए किशोरियों के लिए देशव्यापी मुफ्त वैक्सीन अभियान की मांग की।
27 नवंबर 2025, नई दिल्ली
सवाई माधोपुर के रणथम्भौर फोरेस्ट गेस्ट हाउस के सभागार में यूनिसेफ और प्रिवेंशन ऑफ सर्वाइकल कैंसर एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (PCC–RAJ) द्वारा ‘उभरती किशोर स्वास्थ्य चुनौतियां और एचपीवी टीकाकरण का महत्व’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में देशभर से आए 30 से अधिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं पत्रकारों ने भाग लिया।
विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर का प्रमुख कारण है, जिससे हर साल हजारों महिलाओं की मौत हो जाती है। आंकड़ों के अनुसार, देश में प्रतिदिन लगभग 200 महिलाएं इस बीमारी के कारण दम तोड़ देती हैं। हर 8 मिनट में एक महिला इस कैंसर का शिकार बनती है।
एनएफएचएस–5 के अनुसार वर्ष 2022 में 79,000 नए एचपीवी कैंसर मामले दर्ज हुए, जिनमें से लगभग 34,800 महिलाओं की मृत्यु हुई।
केंद्र सरकार द्वारा यदि किशोरियों के लिए समय पर एचपीवी टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए तो इस बीमारी से होने वाली मौतों में करीब 90 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है।
विशेषज्ञों की अहम बातें और सुझाव
कार्यशाला में यूनिसेफ राजस्थान की हेल्थ ऑफिसर डॉ. मनीषा चावला ने किशोरों में कम टीकाकरण कवरेज, चुनौतियों और एमआर अभियान से मिली सीखों पर विस्तृत जानकारी दी।
वहीं एआई विशेषज्ञ कुमार मनीष ने स्वास्थ्य पत्रकारिता में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, गलत सूचना और दुष्प्रचार से जुड़े खतरों पर महत्वपूर्ण प्रस्तुति दी।
राजस्थान पंक्षी समाचार पत्र के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि तमिलनाडु, सिक्किम और बिहार की तर्ज पर पूरे देश में 14–15 वर्ष की किशोरियों के लिए मुफ्त एचपीवी टीकाकरण शुरू किया जाए।
इसके अलावा सुरेंद्र कुमार धालेटा और सुभाष कृष्णा ने स्वास्थ्य रिपोर्टिंग में तथ्यात्मक और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया।

एचपीवी वैक्सीन क्यों है महत्वपूर्ण?
मानव पैपिलोमावायरस (HPV) एक सामान्य वायरस है, जो सर्वाइकल कैंसर सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। यूनिसेफ के कैप स्पेशलिस्ट अंकुश सिंह ने बताया कि—
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टीकाकरण से शरीर में मजबूत एंटीबॉडी बनती हैं जो वायरस के संक्रमण को रोकती हैं।
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यह 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा उपलब्धियों में से एक है क्योंकि यह सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक रोकथाम प्रदान करता है।
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प्राकृतिक संक्रमण से होने वाली प्रतिरक्षा अक्सर पर्याप्त नहीं होती, इसलिए वैक्सीन से तैयार प्रतिरक्षा अधिक मजबूत और दीर्घकालिक होती है।
किस आयु में लगे एचपीवी टीका?
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9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए वैक्सीन सबसे प्रभावी मानी जाती है।
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15 से 26 वर्ष की महिलाएं भी टीका लगवा सकती हैं, हालांकि इस आयु में टीकाकरण का प्रभाव कुछ कम होता है।
हल्के दुष्प्रभाव संभव
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टीकाकरण के बाद हल्का दर्द, सूजन, लालिमा या अत्यंत दुर्लभ मामलों में एलर्जी जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
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किसी भी संदेह की स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।







