
नई दिल्ली — डॉ. भीमराव अंबेडकर की विचारधारा और उनके योगदान को समर्पित समरसता दिवस के अवसर पर एमईआरआई सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज़ (CIS) के निदेशक प्रो. (डॉ.) रामकांत द्विवेदी ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक प्रेरणादायक और तथ्यात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया। इस आयोजन में न्यायमूर्ति जसमीत सिंह सहित अनेक न्यायिक अधिकारी, विधिक विशेषज्ञ और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
संविधान की आत्मा और उसकी रक्षा पर बल
अपने उद्बोधन में प्रो. द्विवेदी ने भारतीय संविधान की मूल भावना और सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका संरक्षण प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि कोई भी भारत के संवैधानिक ढांचे को कमजोर करने का प्रयास करेगा, तो उसे सख्त जवाब दिया जाएगा।
आतंकवाद पर भारत की निर्णायक कार्रवाई का उल्लेख
प्रो. द्विवेदी ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों द्वारा किए गए हमले का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने 7 मई को PoJK सहित पाकिस्तान में मौजूद 9 प्रमुख आतंकी अड्डों पर सटीक सैन्य कार्रवाई की। यह जवाब न सिर्फ निर्णायक था, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को भी दर्शाता है।
नष्ट किए गए प्रमुख आतंकी ठिकाने इस प्रकार हैं:
- लश्कर-ए-तैयबा: सवाई नाला, गुलपुर, अब्बास, बरनाला
- जैश-ए-मोहम्मद: सैयदना बिलाल शिविर
- रणनीतिक केंद्र: मरकज़ तैयबा (मुरिदके) और मरकज़ सुब्हानअल्लाह (बहावलपुर)
- अन्य शिविर: सरजाल व महमूना जोया (सियालकोट)
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह: संविधान ज्ञान का अक्षय स्रोत
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने भारतीय संविधान को एक “दूरदर्शी और शिक्षाप्रद दस्तावेज़” बताया और कहा कि इसे जितना पढ़ें, उतना ही समझ बढ़ती है। उन्होंने इसे प्रत्येक नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी बताया कि वे संविधान के सिद्धांतों की रक्षा करें।
बाबा साहब को श्रद्धांजलि और नागरिकों से आह्वान
प्रो. द्विवेदी ने डॉ. अंबेडकर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए सभी नागरिकों से संविधान के मूल्यों को आत्मसात करने और उसकी रक्षा का संकल्प लेने का आग्रह किया।
विशेष अतिथि: एडवोकेट अखिल जैटली और प्रो. ललित अग्रवाल
कार्यक्रम में एडवोकेट अखिल जैटली और एमईआरआई ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के उपाध्यक्ष प्रो. ललित अग्रवाल ने भी भाग लिया और अन्य अतिथियों के साथ संविधान और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विचार साझा किए।