
मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 300 किलोमीटर के वायाडक्ट का सफलतापूर्वक निर्माण पूरा किया गया। यह उपलब्धि गुजरात में सूरत के पास 40 मीटर लंबे फुल-स्पैन बॉक्स गर्डर के सफल लॉन्च के साथ पूरी की गई।
300 कि.मी. के सुपरस्ट्रक्चर में से, 257.4 कि.मी. का निर्माण फुल स्पैन लॉन्चिंग विधि (FSLM) के माध्यम से किया गया है, जिसमें 14 नदी के पुल, 37.8 कि.मी. स्पैन बाय स्पैन (SBS), 0.9 कि.मी. स्टील ब्रिज (7 ब्रिज में 60 से 130 मीटर तक के 10 स्पैन), 1.2 कि.मी. पीएससी ब्रिज (5 ब्रिज में 40 से 80 मीटर तक के 20 स्पैन) और 2.7 कि.मी. स्टेशन बिल्डिंग शामिल हैं।
एफएसएलएम के माध्यम से 257.4 कि.मी. वायाडक्ट और एसबीएस के माध्यम से 37.8 कि.मी. वायाडक्ट के निर्माण के लिए, क्रमशः 40 मीटर के 6455 और 925 स्पैन का उपयोग किया गया।
इस परियोजना के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उपकरणों जैसे स्ट्रैडल कैरियर्स, लॉन्चिंग गैंट्रीज, ब्रिज गैंट्रीज और गर्डर ट्रांसपोर्टर्स का उपयोग किया गया है। यह भारतीय बुनियादी ढांचे के लिए पहली बार है, जो जापानी सरकार के समर्थन से हाई-स्पीड रेल प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है।
फुल स्पैन लॉन्चिंग विधि को अपनाने से निर्माण में काफी तेजी आई है, क्योंकि फुल-स्पैन गर्डर निर्माण कन्वेंशनल सेगमेंटल विधियों की तुलना में दस (10) गुना अधिक तेज़ है। प्रत्येक पूर्ण स्पैन बॉक्स गर्डर का वजन 970 मीट्रिक टन होता है। सेगमेंटल गर्डरों का उपयोग चुनिंदा स्थानों पर किया जाता है जहाँ फुल-स्पैन इंस्टॉलेशन संभव नहीं है।
निर्माण की सुविधा के लिए, कॉरिडोर के साथ 27 कास्टिंग यार्ड स्थापित किए गए हैं। स्टील ब्रिज का निर्माण देश भर में फैली सात कार्यशालाओं में किया गया है, जिनमें से तीन गुजरात में, एक-एक उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में हैं, जो वास्तव में हमारे देश की एकता की भावना का उदाहरण हैं।
परिचालन के दौरान शोर को कम करने के लिए वायाडक्ट के दोनों ओर 3 लाख से अधिक नॉइज़ बैरियर लगाए जा चुके हैं।
वायाडक्ट के साथ, परियोजना के लिए 383 कि.मी. पियर, 401 कि.मी. फाउंडेशन तथा 326 कि.मी. गर्डर कास्टिंग का कार्य भी पूरा हो चुका है।
बुलेट ट्रेन के स्टेशन भी तेजी से आकार ले रहे हैं। यात्रियों को निर्बाध यात्रा प्रदान करने के लिए इन स्टेशनों को रेल और सड़क परिवहन प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाएगा। स्टेशनों पर अत्याधुनिक यात्री सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
वायडक्ट्स पर ट्रैक का काम भी शुरू हो गया है और गुजरात में अब तक लगभग 157 कि.मी. आर.सी. ट्रैक बेड (RC track bed) का निर्माण पूरा हो चुका है।
महाराष्ट्र और गुजरात में आधुनिक बुनियादी ढांचे वाले रोलिंग स्टॉक डिपो भी तैयार हो रहे हैं।
यह उपलब्धि परियोजना की सुदृढ़ योजना, अत्याधुनिक इंजीनियरिंग और “मेक इन इंडिया” नीति के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।