कोसी-मेची लिंक परियोजना की निविदा पर भ्रष्टाचार के आरोप, पूर्व सांसद ने सीबीआई जांच की मांग उठाई

डॉ. सूरज मंडल ने निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ियों और मिलीभगत का आरोप लगाते हुए शीर्ष संस्थाओं को भेजी शिकायत; पारदर्शिता और जवाबदेही पर उठे सवाल

नई दिल्ली: बिहार की कोसी-मेची अंतर्राज्यीय लिंक परियोजना की निविदा प्रक्रिया को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। पूर्व सांसद और पूर्व विधायक डॉ. सूरज मंडल ने इस परियोजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए सीबीआई, ईडी, प्रधानमंत्री कार्यालय और बिहार सतर्कता जांच ब्यूरो में विस्तृत शिकायत दर्ज कराई है।

शिकायत में सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार माल (IAS) पर पक्षपाती और त्रुटिपूर्ण मूल्यांकन प्रक्रिया की निगरानी करने का आरोप है।

निविदा प्रक्रिया पर सवाल

डॉ. मंडल, जो ऑल इंडिया एक्स-एमपी एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि 2 जुलाई 2025 को जारी निविदा संख्या 106149 (ईस्टर्न कोसी मेन कैनाल के पुनर्निर्माण कार्य से संबंधित) सामान्य वित्तीय नियम (GFR) 2017 और वर्क्स मैनुअल 2019 के प्रावधानों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना राज्य की सिंचाई व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसमें सार्वजनिक धन का बड़ा हिस्सा जुड़ा है, ऐसे में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव गंभीर चिंता का विषय है।

शिकायत में लगाए गए मुख्य आरोप
  • तकनीकी मूल्यांकन समिति (TEC), जो माल के पर्यवेक्षण में काम कर रही थी, ने योग्य बोलीदाताओं को मनमाने तरीके से अयोग्य घोषित किया।

  • नियमों का पालन न करने वाले और गलत तथ्य प्रस्तुत करने वाले ठेकेदारों को प्रक्रिया में बने रहने दिया गया।

  • तकनीकी बोलियां एक राजपत्रित अवकाश के दिन बिना पूर्व सूचना के खोली गईं।

  • निविदा शर्तों से बाहर जाकर अघोषित मानकों पर मूल्यांकन किया गया।

  • आपराधिक मामलों और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े बोलीदाताओं पर दर्ज आपत्तियों को अनदेखा किया गया।

डॉ. मंडल का आरोप है कि ये सभी कार्रवाइयाँ पक्षपातपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण इरादे से की गईं ताकि एक विशेष कंपनी को लाभ पहुंचाया जा सके। उन्होंने पश्चिमी कोसी नहर परियोजना में भी ऐसी ही गड़बड़ियों का उदाहरण दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं, बल्कि व्यवस्थित पैटर्न है।

जांच और कार्रवाई की मांग

शिकायत में तत्काल सभी निविदा और मूल्यांकन अभिलेख सुरक्षित रखने, समयबद्ध सतर्कता जांच कराने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है।
इसके साथ ही दोषी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने, संबंधित अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटाने और व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग की गई है।

शिकायत में निविदा संबंधी दस्तावेज, मूल्यांकन शीट्स, अस्वीकृति नोट्स और इस बात के प्रमाण भी शामिल किए गए हैं कि तकनीकी बोलियां अवकाश के दिन खोली गईं।

संभावित असर

यदि ये आरोप साबित होते हैं, तो इसका असर न केवल बिहार की सिंचाई परियोजनाओं पर पड़ेगा, बल्कि राज्य की सरकारी निविदाओं और खरीद प्रणाली की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल उठेंगे। शिकायत की प्रतियां प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और मुख्यमंत्री को भेजी गई हैं, जो मामले की गंभीरता को दर्शाता है।

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