
MERI, तीन दर्जन से अधिक टीमों के बीच चले प्रीलिम्स राउंड में चयनित केवल छह टीमें ही सेमी-फाइनल में पहुंचीं। इन टीमों ने न्याय‐संबंधी अवधारणाओं पर पक्की पकड़, तर्कों की सटीकता और कोर्टरूम शिष्टाचार से निर्णायकों का मन मोह लिया। हर बहस में उनके आत्मविश्वास और कानूनी विश्लेषण ने साफ़ संदेश दिया कि वे वास्तविक मुकदमों के लिए तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने फाइनल में बढ़ाई चुनौती
सेमी-फाइनल में जज की भूमिका में रहे डॉ. आकसा सिकंदर, एडवोकेट विवेक शोकीन और एडवोकेट कर्तिकेय मट्टा ने हर टीम के तर्क, कानूनी समझ और प्रश्नोत्तर कौशल का बारीकी से मूल्यांकन किया और उनके आत्मसंयम की सराहना की।
फाइनल राउंड का कुर्ता पहनाकर होते ही चुनौती और भी कड़ी हो गई, जब सुप्रीम कोर्ट की प्रतिनिधि पैनल—एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड श्री आनंद मिश्रा, एडवोकेट विशाल खट्टर और एडवोकेट वंदिता नैन—ने कंटेस्टेंट्स से गहरी समझ और दबाव में ठोस बचाव की उम्मीद जताई।
एलएलबी 3-वर्षीय कोर्स की टीम ने जीता खिताब
दो दिन कठिन प्रतिस्पर्धा के बाद एलएलबी की तीन वर्षीय पाठ्यक्रम से जुड़े प्रतिभागियों ने पूरी इज्जत के साथ ट्रॉफी पर अपना नाम लिखवाया। उनके त्वरित अनुसंधान, कोर्टरूम में आत्मविश्वास और स्पष्ट चिंतन ने निर्णायक मंडल को प्रभावित किया और इस टीम को विजेता घोषित करवाया।
मार्गदर्शन एवं प्रेरणा के पल
इस आयोजन के संरक्षक, प्रो. (डॉ.) ललित अग्रवाल—उपाध्यक्ष, एमईआरआई ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस—ने प्रतियोगिता को वास्तविक न्यायिक दुनिया से जोड़ने पर बल दिया। मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) रामकांत द्विवेदी (हेड, MERI CIS) तथा प्रो. (डॉ.) राकेश खुराना (सलाहकार, MERI ग्रुप) ने भी छात्रों को कानून की व्यापकता और एक्टिव सोच की आवश्यकता से अवगत कराया।
दिन के समापन पर प्रतिभागी पुरस्कार ही नहीं, बल्कि संवर्धित कानूनी दृष्टिकोण, तेज दिमाग और न्याय के प्रति नयी ऊर्जा लेकर लौटे।