
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और फिक्की के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक उच्च-स्तरीय कार्यशाला में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संसाधन सर्वेक्षण 2024-25 में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कहा कि विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाला डेटा ही भारत की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) नीति निर्माण की मज़बूत नींव है।
निजी क्षेत्र की भूमिका अनिवार्य
डीएसटी के राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन सूचना प्रणाली (एनएसटीएमआईएस) के सलाहकार और प्रमुख डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि विकसित देशों में कॉर्पोरेट क्षेत्र आरएंडडी निवेश में 70-75% योगदान देता है, जबकि भारत में यह आंकड़ा अभी मात्र 36.5% है। भारत का सकल अनुसंधान एवं विकास व्यय (GERD) वित्त वर्ष 2010-11 में ₹60,196.8 करोड़ से बढ़कर 2020-21 में ₹127,381 करोड़ हो गया है, लेकिन यह अभी भी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 0.64% है।
उन्होंने निजी क्षेत्र से डेटा साझा करने की अपील करते हुए कहा कि सर्वेक्षण की सफलता के लिए मजबूत प्रतिक्रिया दर और डेटा की प्रामाणिकता अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
सरकारी और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
श्री विनय कुमार, प्रमुख, औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास संवर्धन कार्यक्रम (DSIR), ने बताया कि भारत में तीन लाख से अधिक पंजीकृत औद्योगिक इकाइयां हैं, लेकिन सीएमआईई डेटाबेस में केवल 40,000 का ही लेखा-जोखा है। उन्होंने उद्योगों से डेटा प्रस्तुति को राष्ट्रीय जिम्मेदारी मानने का आग्रह किया।
यूनेस्को सांख्यिकी संस्थान के क्षेत्रीय सांख्यिकीय सलाहकार शैलेंद्र सिग्देल ने विकासशील देशों में डेटा संग्रह की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “खराब इनपुट डेटा से कमजोर परिणाम निकलते हैं।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और फ्रास्काटी मैनुअल का पालन करने पर जोर दिया।
पूर्व एनएसटीएमआईएस प्रमुख डॉ. प्रवीण अरोड़ा ने भी निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी और निवेश की कमी को एक बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने सर्वेक्षण उपकरणों को सरल बनाने और डेटा साझाकरण से जुड़ी प्रतिस्पर्धी जोखिम चिंताओं को दूर करने पर बल दिया।
उद्योग की आवाज़
आईबीएम इंडिया के महाप्रबंधक श्री संकल्प सिन्हा ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति आय भले ही कम है, लेकिन देश वैश्विक आरएंडडी मानकों के करीब पहुंच रहा है। उन्होंने परिभाषाओं और रिपोर्टिंग मानकों को स्पष्ट करने तथा सर्वेक्षण परिणामों को व्यापक रूप से साझा करने की आवश्यकता बताई।
फोरस हेल्थ के सीटीओ एवं आरएंडडी प्रमुख श्री एस. वेंकटकृष्णन ने कहा कि विश्वसनीय डेटा न केवल नीति निर्माण बल्कि औद्योगिक निवेश को दिशा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मैनकाइंड फार्मा के श्री अयेकांश त्यागी ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत को अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए रखने के लिए डेटा-साझाकरण को प्रोत्साहनों से जोड़ना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि डेटा प्रस्तुतिकरण को अनुदान पात्रता से जोड़ा जाए, छात्र इंटर्न्स की मदद ली जाए और प्रगति की नियमित समीक्षा की जाए।
कार्यशाला का निष्कर्ष
सत्र का समापन इस सहमति के साथ हुआ कि राष्ट्रीय एसएंडटी सर्वेक्षण 2024-25 में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना और डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना भारत में नवाचार, औद्योगिक विकास और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए अनिवार्य है।
सर्वेक्षण के बारे में
डीएसटी का एनएसटीएमआईएस समय-समय पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण आयोजित करता है, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, उच्च शिक्षा संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों सहित लगभग 8,000 संगठनों से डेटा संकलित किया जाता है। इस बार सर्वेक्षण को पूरी तरह वेब-आधारित मंच पर संचालित किया जा रहा है, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और त्वरित हो सके।
इस सर्वेक्षण के आधार पर तैयार रिपोर्टें भारत के आरएंडडी संकेतकों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीतियों के लिए साक्ष्य-आधारित मार्गदर्शन प्रदान करेंगी।