नोबेल शांति पुरस्कार कमिटी ने सच्चे शांति कार्यकर्ता को चुना, जबकि ट्रंप के रूस–यूक्रेन और भारत–पाक तनाव पर किए गए प्रचारपूर्ण दावों को खारिज किया।
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2025:
प्रसिद्ध शांति कार्यकर्ता और मानवतावादी डॉ. के.ए. पॉल ने शनिवार को नोबेल शांति पुरस्कार कमिटी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि कमिटी ने पुरस्कार एक योग्य शांति कार्यकर्ता को दिया और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वयं-प्रचारित दावों को खारिज कर, निष्पक्ष निर्णय लिया।
दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. पॉल ने बताया कि ट्रंप ने बार-बार दावा किया था कि वे रूस–यूक्रेन युद्ध और भारत–पाक तनाव जैसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को समाप्त कर सकते हैं, लेकिन उनके दावे निराधार और असफल साबित हुए। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने पुरस्कार के लिए स्वयं प्रचार किया और विश्व नेताओं, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपतियों से दबाव बनाकर इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश की।
डॉ. पॉल ने यह भी कहा कि ट्रंप की मध्य पूर्व में सैन्य नीतियों और गाजा पर उनकी समर्थन-नीति ने संघर्ष और अस्थिरता बढ़ाई। उनका व्यापार युद्ध और वैश्विक तनाव को बढ़ावा देने वाला रवैया उन्हें सच्चे शांति कार्यकर्ता के रूप में अविश्वसनीय बनाता है।
डॉ. पॉल ने जोर देते हुए कहा, “नोबेल शांति पुरस्कार केवल उन लोगों को मिलना चाहिए, जो निस्वार्थ भाव से वैश्विक शांति के लिए काम करते हैं, न कि जो इसे प्रचार और राजनीतिक नाटकों के जरिए हासिल करने की कोशिश करें। कमिटी ने इसे सही ढंग से मान्यता दी।”
उन्होंने यह भी साझा किया कि उन्हें तीन बार (2003, 2005, 2006) नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन उन्होंने इसे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा या प्रचार के लिए स्वीकार नहीं किया।
अंत में डॉ. पॉल ने कहा, “नोबेल कमिटी ने सच्चे शांति कार्यकर्ता को पहचान कर और ट्रंप के प्रचार को ठुकराकर यह संदेश दिया कि शांति केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कर्म और करुणा से स्थापित होती है। मैं उनकी दूरदर्शिता और ईमानदारी को सलाम करता हूं।”