सात पीढ़ियों से चली आ रही शिल्पकला ने मेले में बटोरी प्रशंसा
नई दिल्ली:
प्रगति मैदान में लगे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में जयपुरी रजाइयों की धूम है। राजस्थान मंडप में प्रदर्शित यह पारंपरिक उत्पाद अपने अनोखे हल्केपन और गुणवत्तापूर्ण गर्माहट के कारण सभी का ध्यान खींच रहा है।
राजस्थान मंडप में जयपुरी रजाइयों की विस्तृत रेंज प्रदर्शित की गई है। स्टॉल संचालक अब्दुल रऊफ बताते हैं कि केवल 100 ग्राम वजन वाली रजाइयाँ आगंतुकों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। उन्होंने बताया कि यह कला मंसूरी समाज की सात–आठ पीढ़ियों से चली आ रही विरासत है, जिसमें परिवार के बुजुर्गों से लेकर महिलाएँ तक सक्रिय योगदान देती हैं।
उनके अनुसार, जयपुर का मंसूरी समुदाय सर्दियों के घरेलू उपयोग से जुड़े कई उत्पाद तैयार करता है, लेकिन उच्च गुणवत्ता वाली रजाइयों का निर्माण उनकी सबसे बड़ी विशेषता है। आधुनिक, फैशनेबल और पारंपरिक राजस्थानी डिज़ाइनों में उपलब्ध ये रजाइयाँ ₹500 से ₹5000 की रेंज में खरीदी जा सकती हैं। स्टॉल पर रूई से बनी जैकेट्स, जिनकी कीमत ₹800 से ₹2000 तक है, भी आगंतुकों के बीच लोकप्रिय हो रही हैं।
महिला सशक्तिकरण: राजस्थान मंडप में SHG महिलाओं की चमकदार उपस्थिति
भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला 2025 राजस्थान के लिए महिला सशक्तिकरण का सशक्त मंच साबित हो रहा है। राजस्थान मंडप ने राज्य की हस्तशिल्प परंपरा, लोक कलाओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को उल्लेखनीय रूप से सामने रखा है।
राजस्थान लंबे समय से महिला उद्यमिता, स्वावलंबन और सामुदायिक वित्तीय सशक्तिकरण में अग्रणी रहा है। राज्य सरकार के स्वयं सहायता समूह (SHG) मॉडल, कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम और हस्तशिल्प आधारित उद्यमों को प्रोत्साहन देने वाली नीतियों ने हजारों महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया है। यही जीवंत झलक राजस्थान मंडप में देखने को मिलती है, जहाँ महिला-नेतृत्व वाले स्टॉल ‘लोक से बाजार’ की यात्रा को सशक्त रूप से दर्शा रहे हैं।
IITF 2025 में राजस्थान मंडप में महिलाओं की प्रभावशाली भागीदारी यह प्रमाणित करती है कि राज्य की नीतियाँ ग्रामीण उद्यमिता और महिला सशक्तिकरण को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही हैं। इसके साथ ही यह पहलें स्थानीय शिल्प को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।





