
04th जुलाई 2025 :
भारत में क्रिप्टो का चलन अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं रह गया है। जो क्रांति कभी बेंगलुरु के टेक स्टार्टअप्स या मुंबई के निवेश फर्मों तक सिमटी हुई थी, वह अब देश के छोटे और मध्यम शहरों तक पहुंच गई है। जयपुर, कोयंबटूर, डिब्रूगढ़ जैसे कस्बों की गलियों में अब क्रिप्टो एक नई उम्मीद बनकर उभर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि आज देश में जितना क्रिप्टो ट्रेड हो रहा है, उसका लगभग आधा हिस्सा टियर-2 और टियर-3 शहरों से आ रहा है। कई इलाकों में हर साल इसमें 40 प्रतिशत से भी अधिक की तेजी देखी जा रही है।
इस बदलाव के पीछे केवल जिज्ञासा नहीं है, बल्कि ज़मीनी हकीकत भी है। छोटे शहरों में आज भी बहुत से लोगों के पास न तो पूंजी बाजारों तक पहुंच है, न ही भरोसेमंद बैंकिंग सुविधाएं या स्थिर आमदनी। ऐसे में छात्र, गृहणियां और छोटे दुकानदार क्रिप्टो को एक ऐसे विकल्प के रूप में देख रहे हैं, जिससे वे इन बाधाओं को पार कर सकें। ज्यादातर लोग ₹10,000 जैसे छोटे निवेश से शुरुआत कर रहे हैं, जिससे यह साफ झलकता है कि यह चलन ना तो सिर्फ लालच में है और ना ही बिना सोच-विचार के — यह एक उम्मीद भरा प्रयास है कि थोड़ी-बहुत बचत को कहीं बेहतर जगह लगाया जाए।
आज पटना, सूरत, इंदौर जैसे शहरों में लोग चाय की दुकानों और छोटे-बड़े बाजारों में भी क्रिप्टो की बातें करते नज़र आते हैं। भारत के दस सबसे ज्यादा क्रिप्टो-एक्टिव शहरों में से सात अब मेट्रो शहर नहीं, बल्कि टियर-2 शहर हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि अब स्मार्टफोन सस्ते हो गए हैं और इंटरनेट लगभग हर हाथ तक पहुंच गया है। महामारी के बाद आई डिजिटल आदतों और रिमोट वर्क कल्चर ने भी इस बदलाव को गहराई दी है। आज का युवा क्रिप्टो को केवल मुनाफे की चाह में नहीं, बल्कि वैश्विक वित्तीय दुनिया को समझने और उसका हिस्सा बनने के मौके के तौर पर देखता है।
और यह बदलाव पूरी तरह स्थानीय स्तर पर हो रहा है। नागपुर जैसे शहरों में क्रिप्टो ट्रेनिंग देने वाले संस्थानों में छात्र रिकॉर्ड स्तर पर नाम लिखवा रहे हैं। एक ट्रेनर का कहना है कि उन्होंने 2023 के बाद से 1,500 से ज्यादा नए लोगों को क्रिप्टो के बारे में सिखाया है। भारतीय यूज़र्स के लिए बनाए गए लोकल ऐप्स, यूट्यूब वीडियो जो हिंदी और अन्य भाषाओं में उपलब्ध हैं, और दोस्तों के साथ चर्चाएं, इन सबने इस तकनीकी विषय को आम लोगों के लिए भी समझना आसान बना दिया है। यही वजह है कि आज भारत को दुनिया में सबसे ज़्यादा जमीनी क्रिप्टो अपनाने वाला देश माना जा रहा है।
महिलाएं भी इस बदलाव का अहम हिस्सा बन रही हैं। हाल की एक रिपोर्ट बताती है कि महिला निवेशकों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में दस गुना इज़ाफा हुआ है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से कई महिलाएं अब क्रिप्टो में निवेश कर रही हैं। उनके लिए यह केवल एक तकनीकी नया माध्यम नहीं, बल्कि आर्थिक आज़ादी का रास्ता है — एक ऐसा विकल्प जो पारंपरिक बचत योजनाओं और सोने की खरीद से आगे जाता है।
हालांकि इस उत्साह के साथ-साथ जोखिम भी लगातार बढ़ रहे हैं। जहां एक ओर कई लोग अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए निवेश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बहुत से नए निवेशक धोखाधड़ी का शिकार भी हो रहे हैं। छोटे शहरों में अब भी भरोसेमंद जानकारी की भारी कमी है। कई लोग खुद से सीखने की कोशिश करते हैं या फिर व्हाट्सएप फॉरवर्ड, टेलीग्राम ग्रुप्स और यूट्यूब जैसे अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर रहते हैं। यही वजह है कि वहां फर्जी ऐप्स, स्कीम्स और स्कैमर्स के लिए रास्ता खुल जाता है।
हाल के महीनों में कई धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं। जून 2025 में लखनऊ में पुलिस ने ₹80 लाख के USDT ट्रांजेक्शन के जरिए चल रही एक धोखाधड़ी का खुलासा किया, जिसमें सभी आरोपी युवा थे। सूरत में जोधपुर के दो युवकों ने करोड़ों की क्रिप्टो मनी लॉन्ड्रिंग की, और वह पैसा चीन, पाकिस्तान और म्यांमार जैसे देशों में भेजा गया। जयपुर, भोपाल, रतलाम और इंदौर जैसे शहरों में भी ऐसे ही कई मामले सामने आए हैं, जहां पहली बार निवेश करने वाले युवाओं को जल्दी मुनाफे का लालच देकर ठग लिया गया। एक MBA छात्र को फर्जी इन्वेस्टमेंट ग्रुप ने पहले छोटे-छोटे लाभ दिए और फिर उसकी पूरी जमा पूंजी हड़प ली। मार्च 2025 में ओडिशा के बेरहामपुर में ₹6.16 करोड़ की ठगी के मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जो एक फर्जी “ZAIF” नामक क्रिप्टो ऐप चला रहे थे।
इस पूरी स्थिति को और भी जटिल बना देता है देश में नियमन की कमी। भारत में क्रिप्टो को अपनाने की रफ्तार चाहे जितनी तेज़ हो, लेकिन अब तक इसके लिए कोई साफ और ठोस कानून नहीं बनाया गया है। ऐसे में जब कोई निवेशक ठगी का शिकार होता है, तो उसके पास न्याय या मदद लेने के विकल्प बेहद सीमित होते हैं।
अब समय आ गया है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए। एक ऐसी समिति बनाई जानी चाहिए जिसमें वित्त मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय, रिज़र्व बैंक और इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञ शामिल हों। यह समिति अंतरराष्ट्रीय अनुभवों और नियमों का अध्ययन करे, हितधारकों से बातचीत करे और भारत के लिए एक साफ, भरोसेमंद और संतुलित फ्रेमवर्क तैयार करे। इसके साथ ही टैक्स व्यवस्था में भी सुधार ज़रूरी है — जैसे TDS को कम किया जाए, नुकसान को समायोजित करने की सुविधा मिले और टैक्स दरों को सरल बनाया जाए, ताकि लोगों का भरोसा बना रहे और वे खुले मन से इस डिजिटल बदलाव में हिस्सा ले सकें।
भारत के छोटे शहरों ने क्रिप्टो को पूरी ताक़त और उम्मीद के साथ अपनाया है। यह सिर्फ़ एक चलन नहीं, बल्कि एक नई आर्थिक सोच का संकेत है। लेकिन अगर सही सुरक्षा इंतज़ाम और स्पष्ट नियम नहीं बनाए गए, तो यह लहर बहुत जल्दी संकट में बदल सकती है। सरकार के पास अब विकल्प नहीं बचे हैं — नियमन और टैक्स सुधार अब ज़रूरत बन चुके हैं। वरना भारत इस दौड़ में लीडर बनने की बजाय एक अधूरी क्रांति की मिसाल बन जाएगा।