
पहाड़ों के नीचे प्रगति की फुसफुसाहट: USBRL रेल परियोजना की कहानी
हिमालय की ऊंची चोटियों के बीच, जहां बादल धरती को चूमते हैं और घाटियां रहस्यमयी कहानियां बुनती हैं, भारतीय रेलवे का एक स्वप्निल प्रयास उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) के रूप में साकार हो रहा है। यह परियोजना न केवल भौगोलिक बाधाओं को पार करती है, बल्कि कश्मीर को भारत के हृदय से जोड़कर प्रगति की नई राह बनाती है। 272 किलोमीटर के इस रेल मार्ग में 36 प्रमुख सुरंगें हैं, जो 119 किलोमीटर तक फैली हैं। ये सुरंगें इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता का प्रतीक हैं, जो चुनौतियों को अवसरों में बदलती हैं।
टी-50: भारत की सबसे लंबी परिवहन सुरंग
लंबाई: 12.77 किमी | स्थान: सुम्बर-खारी
टी-50 सुरंग कश्मीर घाटी को देश से जोड़ने वाली जीवन रेखा है। न्यू टनलिंग मेथड से निर्मित यह सुरंग क्वार्टजाइट, नीस और फिलाइट जैसी कठोर चट्टानों से होकर गुजरती है। इसमें मुख्य मार्ग के साथ एक समानांतर आपातकालीन सुरंग है, जो हर 375 मीटर पर क्रॉस-पैसेज से जुड़ी है। भूस्खलन, पानी का रिसाव और ज्वालामुखी चट्टानों जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए, इंजीनियरों ने तीन सहायक सुरंगों (एडिट्स) का उपयोग कर प्रगति को तेज किया। यह सुरंग नवाचार और दृढ़ता का प्रतीक है।
टी-80: कश्मीर की रीढ़
लंबाई: 11.2 किमी | स्थान: बनीहाल-काजीगुंड
पीर पंजाल पर्वत के नीचे बनी टी-80 सुरंग जम्मू-कश्मीर के बीच साल भर संपर्क सुनिश्चित करती है। बर्फबारी और ऊंचाई की बाधाओं को पार कर यह परिवहन और व्यापार को बढ़ावा देती है। इसे USBRL की रीढ़ कहा जा सकता है।
टी-34: दोहरी सुरंग का नवाचार
लंबाई: 5.099 किमी | स्थान: पाई-खड से अंजी खड
टी-34 सुरंग पाई-खड को अंजी खड से जोड़ती है, जिसमें दोहरी ट्यूब डिजाइन—मुख्य सुरंग और समानांतर आपातकालीन सुरंग—है। सिरबन डोलोमाइट चट्टानों से होकर गुजरने वाली यह सुरंग भारत के पहले केबल-स्टेड रेलवे पुल, अंजी खड ब्रिज से जुड़ी है, जो सुरक्षा और दक्षता का प्रतीक है।
टी-33: त्रिकूटा की छाया में चुनौती
लंबाई: 3.2 किमी | स्थान: कटरा-बनीहाल
कटरा-बनीहाल खंड की टी-33 सुरंग त्रिकूटा पहाड़ियों के आधार पर फैली है। टूटी डोलोमाइट और मेन बाउंड्री थ्रस्ट जोन की चुनौतियों, विशेष रूप से 2017 के भूस्खलन, का सामना करते हुए, मार्च 2022 में आई-सिस्टम ऑफ टनलिंग अपनाया गया। गहरी जल निकासी, छतरी पाइप रूफिंग और केमिकल ग्राउटिंग के साथ 20 दिसंबर 2023 को सफलता हासिल हुई।

टी-23: तकनीकी विजय
लंबाई: 3.15 किमी | स्थान: उदमपुर-चक रखवाल
उदमपुर-चक रखवाल के बीच बनी टी-23 सुरंग में बॉलास्ट-लेस ट्रैक है। 2008 में संकुचन और उभार की समस्याओं का सामना करने के बाद, विशेषज्ञों की मदद से इसे पूरा किया गया, जो परियोजना की एक बड़ी उपलब्धि है।
टी-1: उन्नत तकनीक का चमत्कार
लंबाई: 3.209 किमी
मेन बाउंड्री थ्रस्ट से जूझते हुए टी-1 ने कीचड़ और पानी के रिसाव का सामना किया। आई-सिस्टम ऑफ टनलिंग के साथ गहरी जल निकासी और केमिकल ग्राउटिंग ने इसकी स्थिरता सुनिश्चित की।
टी-25: जलधारा के खिलाफ जंग लंबाई: 3 किमी
टी-25 के निर्माण में छह साल लगे, जब 2006 में एक भूमिगत जलधारा (500-2000 लीटर/सेकंड) मिली। नवाचार और दृढ़ता से इस चुनौती को पार किया गया।
प्रगति की गूंज
USBRL की सुरंगें हिमालय में जीवन रेखा हैं, जो कश्मीर को भारत से जोड़ती हैं। प्रत्येक सुरंग संघर्ष, नवाचार और विजय की कहानी कहती है। चट्टानों को तोड़ने की आवाज के साथ ये एक नए युग की शुरुआत करती हैं। ये सुरंगें न केवल संपर्क का प्रतीक हैं, बल्कि भारत के अटूट संकल्प को भी दर्शाती हैं, जो समुदायों और सपनों को एक सूत्र में पिरोती हैं।