भारत में सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए प्रूफ ऑफ रिज़र्व्स (PoR) अनिवार्य क्यों हो — पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा की दिशा में अहम कदम

FTX जैसे मामलों के बाद बढ़ी पारदर्शिता की मांग, भारत में स्पष्ट नियमन के अभाव में PoR हो सकता है सुरक्षा की गारंटी

नई दिल्ली, वर्चुअल एसेट्स की दुनिया में हाल के वर्षों में कई बड़े घोटालों और एक्सचेंज बंद होने की घटनाओं ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका स्थित एफटीएक्स जैसे प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज के धराशायी होने के बाद निवेशकों के बीच भय और अविश्वास का माहौल बन गया। इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि क्रिप्टो सेक्टर में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बेहद जरूरी है।

भारत में यह स्थिति और भी संवेदनशील है क्योंकि देश में अभी तक क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्पष्ट और ठोस कानूनी ढांचा विकसित नहीं हो पाया है। इसके बावजूद, लाखों लोग क्रिप्टो में निवेश कर रहे हैं। ऐसे में प्रूफ ऑफ रिज़र्व्स (PoR) को सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए अनिवार्य बनाए जाने की मांग उठ रही है।

क्या है प्रूफ ऑफ रिज़र्व्स (PoR)?

प्रूफ ऑफ रिज़र्व्स एक क्रिप्टोग्राफिक प्रक्रिया है, जो यह सत्यापित करती है कि किसी क्रिप्टो एक्सचेंज के पास अपने ग्राहकों द्वारा जमा की गई राशि के बराबर या उससे अधिक डिजिटल एसेट्स सुरक्षित रूप से मौजूद हैं।

मर्कल ट्री जैसी तकनीकों के जरिये, एक्सचेंज यह साबित कर सकते हैं कि वे अपने ग्राहकों की पूंजी की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं — वो भी बिना किसी ग्राहक की व्यक्तिगत जानकारी उजागर किए। यदि इसे सही ढंग से लागू किया जाए, तो उपयोगकर्ता स्वतंत्र रूप से यह जांच सकते हैं कि उनकी जमा की गई राशि पूरी तरह सुरक्षित है।

क्यों जरूरी है PoR?

  • निवेशकों को विश्वास मिलता है कि उनका पैसा सुरक्षित है।
  • बाजार में पारदर्शिता बढ़ती है, जिससे अफवाहों और घबराहट में की जाने वाली निकासी की घटनाएं घटती हैं।
  • गलत प्रबंधन और धोखाधड़ी की आशंका कम हो जाती है क्योंकि रिपोर्ट सार्वजनिक होती हैं।
  • नैतिक जवाबदेही तय होती है, खासकर तब जब कानूनी व्यवस्था मजबूत नहीं हो।

भारत में लागू करने की आवश्यकता क्यों अधिक?

भारत में वर्चुअल एसेट्स को लेकर नियमन की स्थिति अभी भी अस्थिर है। हालाँकि सरकार ने क्रिप्टो सेवा प्रदाताओं को मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी प्रावधानों के तहत लाने के प्रयास किए हैं, लेकिन पारदर्शिता की गारंटी देने वाले नियम अब तक लागू नहीं हुए हैं। ऐसे में PoR को अनिवार्य बनाना एक मजबूत सुरक्षात्मक उपाय हो सकता है।

पारदर्शिता और जिम्मेदारी की ओर एक बड़ा कदम

अगर भारत सरकार सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए PoR रिपोर्ट प्रकाशित करना अनिवार्य कर देती है, तो इससे क्रिप्टो इंडस्ट्री में भरोसे, जवाबदेही और सुरक्षा की भावना मजबूत होगी। यह पहल नवाचार को रोके बिना एक ऐसा वातावरण बना सकती है जहां निवेशक निश्चिंत होकर क्रिप्टो में भागीदारी कर सकें।

भारत में क्रिप्टो का भविष्य पारदर्शिता और नियमन के ठोस ढांचे पर निर्भर करेगा। जब तक व्यापक कानूनी संरचना नहीं बनती, तब तक PoR को अनिवार्य करके एक सुरक्षित, जिम्मेदार और भरोसेमंद क्रिप्टो इकोसिस्टम की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है। यह न केवल निवेशकों को सुरक्षा देगा, बल्कि सरकार को भी इस क्षेत्र में नेतृत्व करने का मौका देगा।

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