नई दिल्ली: डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट्स, यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान ने स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर पूर्व छात्रों और शिक्षकों को आमंत्रित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें कला और अनुसंधान के पाँच दशकों पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम के दौरान विभाग की स्थापना से लेकर अब तक कला, अनुसंधान और सृजन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पूर्व विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। इनमें द्वितीय पीढ़ी की कलाकार के रूप में डॉ. ममता चतुर्वेदी को ललित कला के क्षेत्र में उनके दीर्घकालिक योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
यह क्षण अत्यंत गौरवपूर्ण रहा जब डॉ. चतुर्वेदी को उन्हीं के शिष्यों ने उसी विभाग में सम्मानित किया, जहाँ उन्होंने 44 वर्ष पूर्व अपनी कला शिक्षा पूर्ण की थी — और यह सम्मान उन्हें उनके गुरुजनों तथा सहकर्मियों की उपस्थिति में प्राप्त हुआ।
अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए डॉ. ममता चतुर्वेदी ने कहा,
“मैं हृदय से डिपार्टमेंट ऑफ फाइन आर्ट्स, यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की अध्यक्ष डॉ. अमिता राज गोयल का आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने इस अद्भुत आयोजन की परिकल्पना और सफल क्रियान्विति की। इतने वर्षों बाद अपने गुरुओं और सहकर्मियों से पुनः मिलाने का यह अवसर प्रदान करने के लिए उन्हें धन्यवाद देना वास्तव में ‘दीपक तले सूरज दिखाने’ के समान है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं डॉ. कृष्णा महावर और डॉ. जे. पी. मीना को भी उनके बहुमूल्य सहयोग और इस आयोजन को सफल बनाने में उनके योगदान के लिए विशेष धन्यवाद देती हूँ। साथ ही उन सभी शुभचिंतकों की भी आभारी हूँ, जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुझे इस प्रतिष्ठित सम्मान के योग्य समझा।”
अपने संबोधन के समापन पर डॉ. चतुर्वेदी ने कहा, “अपने गुरुओं के सान्निध्य और आशीर्वाद में यह सम्मान प्राप्त करना मेरे लिए अत्यंत गर्व और आत्मिक संतोष का क्षण है।”
स्वर्ण जयंती समारोह के अंतर्गत कला शिक्षा के विकास, सृजनात्मक अनुसंधान की भूमिका, तथा विभाग द्वारा कलात्मक संवाद और अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के निरंतर प्रयासों पर भी चर्चा की गई।




