सेलिब्रिटीज़ द्वारा प्रमोट किए जा रहे अवैध बेटिंग ऐप्स के खिलाफ न्यायिक हस्तक्षेप की माँग
नई दिल्ली:
आज आंध्र प्रदेश भवन, नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. के.ए. पॉल ने अपने मामले (आइटम नंबर 12) की सुनवाई न होने पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि माननीय न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ की अनुपलब्धता के कारण आज सर्वोच्च न्यायालय में अवकाश रहा, जिसके चलते सुनवाई स्थगित करनी पड़ी।
डॉ. पॉल की याचिका में उन प्रसिद्ध हस्तियों और अभिनेताओं के विरुद्ध त्वरित न्यायिक हस्तक्षेप की माँग की गई है, जिन्होंने कथित रूप से अवैध बेटिंग और गेमिंग ऐप्स को बढ़ावा देने के लिए भारी राशि प्राप्त की। इनमें सचिन तेंदुलकर, राणा दग्गुबाती, विजय देवरकोंडा सहित कई अन्य सेलिब्रिटीज़ के नाम शामिल हैं। डॉ. पॉल ने कहा कि इन ऐप्स के कारण देशभर में युवाओं को भारी आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव और आत्महत्या जैसी त्रासदियों का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 23 मई और 1 अगस्त 2025 को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पेश होकर अपनी याचिका रखी थी। इसके बाद न्यायालय ने नोटिस जारी किए और अंतरिम आदेश पारित किए थे। लेकिन अब तक केंद्र सरकार और अधिकांश राज्य सरकारें अपना जवाब दाखिल नहीं कर पाई हैं। डॉ. पॉल ने इस स्थिति को “गंभीर प्रशासनिक उदासीनता” बताया और कहा कि यह पीड़ित परिवारों के प्रति अन्याय है।
डॉ. पॉल ने कहा, “इन अवैध बेटिंग ऐप्स ने लाखों भारतीय परिवारों को तोड़ दिया है। यह केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक त्रासदी है। कोई भी सेलिब्रिटी या कॉरपोरेशन कानून से ऊपर नहीं हो सकता।” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि ऐसे प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा देने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए और पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजा फंड बनाया जाए ताकि भविष्य में कोई और ऐसी त्रासदी का शिकार न बने।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. पॉल ने चुनावी पारदर्शिता और सुधार की दिशा में भी एक नई अपील की। उन्होंने कहा कि भारत को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) प्रणाली को समाप्त कर मतपत्र (Ballot Paper) प्रणाली को पुनः लागू करना चाहिए। उनके अनुसार, “हर प्रमुख लोकतांत्रिक देश पारदर्शिता और विश्वास के लिए बैलेट पेपर का उपयोग करता है। भारत को भी अपने चुनावों की पवित्रता की रक्षा के लिए यही करना चाहिए।”
डॉ. पॉल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि वे जनता के चुनावी विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए ठोस कदम उठाएँ। उन्होंने कहा, “यदि अब नहीं, तो कब? यदि आप नहीं, तो कौन? जनता को ऐसे चुनाव चाहिए जिन पर वे भरोसा कर सकें।”
बिहार चुनावों का उल्लेख करते हुए डॉ. पॉल ने ईवीएम के निरंतर उपयोग पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह “भारत की लोकतांत्रिक अखंडता के लिए खतरा” है और सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे चुनावी सुधार और लोकतंत्र के पुनरुत्थान के लिए एकजुट हों।




