
भारतीय रेल ने अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) और आईआईटी मद्रास के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत हाइपरलूप प्रौद्योगिकी के विकास के लिए 20.89 करोड़ रुपये का वित्तपोषण प्राप्त हुआ है।
यह हाइपरलूप तकनीक एक उभरती हुई विधि है, जो विकास के प्रारंभिक चरण में है। इस तकनीक के तकनीकी और सुरक्षा मापदंडों को अभी तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिभाषित नहीं किया गया है। हाइपरलूप के अन्य परिवहन साधनों की तुलना में तेज, अधिक ऊर्जा कुशल और टिकाऊ होने की उम्मीद है
रेल मंत्रालय की एक इकाई, आरडीएसओ ने इस तकनीक की सत्यापन के लिए आईआईटी मद्रास में एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह केंद्र हाइपरलूप के पॉड, टेस्ट ट्रैक, और वैक्यूम ट्यूब सुविधा के सब-स्केल मॉडल के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण, और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में इस महत्वाकांक्षी परियोजना के बारे में जानकारी दी।
यह पहल भारत के लिए परिवहन क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।