गांधीनगर और बेंगलुरु में आयोजित परामर्श बैठकों में विशेषज्ञों और उद्योग प्रतिनिधियों ने स्पष्ट नियमों, मज़बूत सुरक्षा मानकों और नवाचार-अनुकूल नीति संरचना की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
गांधीनगर, 5 दिसंबर 2025:
भारत में क्रिप्टो एसेट्स के लिए एक आधुनिक, सुसंगत और प्रभावी राष्ट्रीय नियामक ढाँचा विकसित करने के उद्देश्य से गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (GNLU) ने उच्च-स्तरीय परामर्शों की श्रृंखला की शुरुआत कर दी है। इस पहल के तहत विश्वविद्यालय ने गांधीनगर में पहला उच्च-स्तरीय सलाहकार बोर्ड परामर्श और बेंगलुरु में एक क्षेत्रीय हितधारक बैठक सफलतापूर्वक आयोजित की।
ये परामर्श GNLU की राष्ट्रीय शोध परियोजना “Assessing the Case for Regulation of Crypto Assets in India” का हिस्सा हैं, जिसका नेतृत्व विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. (डॉ.) एस. शांताकुमार कर रहे हैं। यह अध्ययन भारत में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) पर लागू मौजूदा ढाँचों का विश्लेषण कर भविष्य की नीति और कानून निर्माण के लिए एक साक्ष्य-आधारित मॉडल प्रस्तावित करने का लक्ष्य रखता है।
सलाहकार बोर्ड बैठक में शीर्ष विधिवेत्ताओं, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, साइबर कानून विशेषज्ञों और उद्योग जगत से जुड़े अनुभवी प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें न्यायमूर्ति एम. आर. शाह (पूर्व न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट), न्यायमूर्ति रवि त्रिपाठी (पूर्व न्यायाधीश, गुजरात उच्च न्यायालय), श्री राजकुमार (पूर्व मुख्य सचिव, गुजरात सरकार), श्री जे. पी. गुप्ता (पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव) और डॉ. केशव कुमार (पूर्व DGP व निदेशक, एसीबी) प्रमुख रूप से शामिल रहे।
बैठक में विशेषज्ञों ने भारत में क्रिप्टो एसेट्स के स्पष्ट विधायी वर्गीकरण, जोखिम-आधारित निगरानी, मजबूत प्रवर्तन ढाँचे, कर प्रणाली की पारदर्शिता, उपभोक्ता संरक्षण, और सीमा-पार अनुपालन तंत्र को आधुनिक बनाने की आवश्यकता पर विस्तृत चर्चा की।
शैक्षणिक दृष्टिकोण के साथ-साथ उद्योग के अनुभवों को समझने के लिए GNLU ने बेंगलुरु में क्षेत्रीय हितधारक परामर्श आयोजित किया, जिसमें क्रिप्टो एक्सचेंजों, तकनीकी स्टार्टअप्स, ब्लॉकचेन डेवलपर्स और सेवा प्रदाताओं ने बाजार संचालन की चुनौतियों, परिचालन अवरोधों और जिम्मेदार नवाचार को प्रोत्साहित करने वाली संभावित नीति सुधारों पर अपने सुझाव साझा किए।
दोनों परामर्शों से मिले व्यापक इनपुट ने यह स्पष्ट किया कि भारत में एक सुव्यवस्थित, सुरक्षित और नवाचार-समर्थक क्रिप्टो नियामक ढाँचा विकसित करना समय की मांग है। GNLU के अनुसार, ये निष्कर्ष आगामी अंतिम सिफारिशों के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाएँगे।
प्रोफेसर शांताकुमार ने कहा, “हमारा उद्देश्य ऐसा नियामक ढाँचा प्रस्तुत करना है जो नवाचार को प्रोत्साहित करे, परंतु साथ ही निवेशकों और बाजार की सुरक्षा से कोई समझौता न हो। GNLU तथ्य-आधारित, भविष्य-उन्मुख नीति निर्माण में योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
परियोजना आने वाले महीनों में भी विभिन्न हितधारक समूहों के साथ संवाद जारी रखेगी, ताकि भारत में क्रिप्टो एसेट्स के लिए एक समग्र, व्यावहारिक और प्रभावी नियामक संरचना तैयार की जा सके।





