एमईआरआई कॉलेज में दीपांकर एस. हलदर से उद्यमिता की सीख: छात्रों को मिला व्यावसायिक मार्गदर्शन

नई दिल्ली, 16 अप्रैल, 2025:

एमईआरआई कॉलेज के ई-सेल और इनोवेशन काउंसिल ने “व्यवसाय निर्माण – एक उद्यमी की यात्रा” विषय पर एक प्रेरक सत्र का आयोजन किया, जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में श्री दीपांकर एस. हलदर, सफल उद्यमी और आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र शामिल हुए। इस सत्र में 120 से अधिक MBA और BBA छात्रों ने भाग लिया, जिन्होंने व्यवसाय स्थापित करने और उसे स्थिर बनाए रखने से जुड़ी वास्तविक चुनौतियों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की।

सत्र की शुरुआत करते हुए श्री हलदर ने कहा कि असली उद्यमिता की सफलता ग्राहक की समस्याओं को पहचानने और उनके लिए अभिनव, स्केलेबल समाधान तैयार करने से शुरू होती है। उन्होंने यह भी बताया कि उद्यमिता केवल नए व्यवसाय स्थापित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थापित संगठनों में भी फलती-फूलती है जब व्यक्ति जटिल समस्याओं का समाधान करने के लिए कदम उठाते हैं।

श्री दीपांकर हलदर ने अपने करियर की शुरुआत शॉ वालेस एंड कंपनी में की और बाद में मास रिटेल और वैश्विक कंसल्टिंग कंपनियों में काम करते हुए संचालन दक्षता और उपभोक्ता व्यवहार के महत्वपूर्ण सिद्धांत सीखे, जो बाद में उनके उद्यमी दृष्टिकोण को आकार देने में मददगार साबित हुए।

श्री हलदर ने एक प्रसिद्ध मारवाड़ी कहावत का जिक्र करते हुए कहा, “हजार दिनों की मेहनत और आत्म-निवेश के लिए तैयार रहो,” और इस बात पर जोर दिया कि एक सफल व्यवसाय की नींव में दृढ़ता और धैर्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने अपने पहले ई-कॉमर्स व्यवसाय की फंडिंग समस्याओं का जिक्र किया, लेकिन अपनी मेहनत और निरंतर प्रयासों से उन्होंने Jalongi Retail और Jalongi.com जैसे सफल उपक्रमों की शुरुआत की, जो बंगाल के तटीय क्षेत्रों से ताजे समुद्री खाद्य पदार्थों की कोल्ड-चेन डिलीवरी करते हैं।

श्री हलदर ने वित्तीय धैर्य, विश्वास पर आधारित टीम डाइनैमिक्स और सह-संस्थापकों, पारिवारिक समर्थन और एंजेल निवेशकों की भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने स्टार्टअप फंडिंग यात्रा को विस्तार से समझाया और उन इन्क्यूबेटर्स, एक्सेलेरेटर और सरकारी पहलों पर प्रकाश डाला, जो स्टार्टअप इकोसिस्टम को आकार देते हैं।

सत्र का समापन एक ऊर्जावान प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्रों ने रेगुलेटरी फ्रेमवर्क, इक्विटी वितरण और संस्थापक मानसिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सवाल किए। श्री हलदर के अंतिम शब्द, “आशा कोई रणनीति नहीं है”, ने छात्रों के बीच गहरी छाप छोड़ी और उन्हें उद्यमिता की वास्तविकता को समझने में मदद की।

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