
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में प्रमाण पत्र वितरित किए, GI उत्पादों की संख्या 77 पहुंची, देश में पहले स्थान पर पहुंचा प्रदेश
वाराणसी, 11 अप्रैल।
उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और कारीगरी विरासत को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने वाराणसी दौरे के दौरान प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग का प्रमाण पत्र सौंपा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश की स्थानीय कला, व्यंजन और शिल्प को संरक्षण और प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की।
बनारस की प्रसिद्ध भरवा मिर्च और संगीत प्रेमियों के बीच विख्यात बनारसी तबला को भी GI टैग मिला है, जिससे ये उत्पाद अब कानूनी संरक्षण, वैश्विक पहचान और बेहतर बाजार मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश अब 77 GI टैग प्राप्त उत्पादों के साथ देश में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है। अकेले काशी क्षेत्र के 32 GI टैग उत्पादों ने इसे दुनिया का GI हब बना दिया है।
काशी के स्वाद और सुरों को मिला सम्मान
वाराणसी के जिन 10 उत्पादों को इस सूची में स्थान मिला, उनमें शहनाई, मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, म्यूरल पेंटिंग, लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, ठंडाई, और चिरईगांव का करौंदा प्रमुख हैं। ये न सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों के लिए आर्थिक संभावनाओं के नए द्वार खोलने वाले हैं।
GI विशेषज्ञ और पद्मश्री सम्मानित डॉ. रजनीकांत ने बताया कि काशी क्षेत्र के GI उत्पादों से करीब 20 लाख लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है और इससे सालाना 25,500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है।
प्रदेश के अन्य क्षेत्रों को भी मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
GI टैग प्राप्त करने वाले अन्य प्रमुख उत्पादों में शामिल हैं:
- बरेली का फर्नीचर, टेराकोटा और जरी-जरदोजी
- मथुरा की सांझी क्राफ्ट
- बुंदेलखंड का काठिया गेहूं
- पीलीभीत की बांसुरी
- चित्रकूट का वुड क्राफ्ट
- आगरा का स्टोन इनले वर्क
- जौनपुर की इमरती
इन सभी को GI टैग मिलने से ब्रांड वैल्यू में वृद्धि, नक़ल पर रोक, और निर्यात के लिए नई संभावनाएं खुलेंगी।
ODOP नीति की सफलता की झलक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में चलाई जा रही ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) नीति का असर अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिख रहा है। GI टैग मिलने से प्रदेश के किसानों, बुनकरों, कारीगरों और लघु उद्यमियों को रोजगार और आमदनी के नए अवसर मिल रहे हैं।
सरकार का फोकस अब न सिर्फ पहचान दिलाने पर है, बल्कि GI टैग प्राप्त उत्पादों को वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित करने पर भी है।