
“यह सिर्फ़ खेल नहीं, बदलाव का मंच है”—पारुल सिंह ने झारखंड CM से की मुलाकात, समावेशी खेल संस्कृति के लिए राष्ट्रव्यापी समर्थन की अपील
नई दिल्ली, 7 जुलाई 2025
दिल्ली में इस साल सितंबर-अक्टूबर के बीच होने जा रही 12वीं विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप को लेकर तैयारियां तेज़ हैं। आयोजन से पहले दिल्ली राज्य पैरा ओलंपिक समिति की अध्यक्ष पारुल सिंह देशभर के राज्यों से सहयोग जुटाने में जुटी हैं। हाल ही में उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर राज्य के सहयोग की अपील की।
बैठक के दौरान पारुल सिंह ने मुख्यमंत्री सोरेन को भगवान राम और माता सीता की पारंपरिक चित्रकला भेंट की और पैरा खेलों को लेकर अपनी सोच साझा की। उन्होंने कहा कि यह चैंपियनशिप सिर्फ़ एक अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन नहीं, बल्कि भारत में पैरा खिलाड़ियों के लिए स्थायी ढांचा और समावेशी खेल संस्कृति तैयार करने का मौका है।
हाल ही में एक मीडिया बातचीत के दौरान पारुल सिंह ने कहा कि यह चैंपियनशिप सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय पहचान का मौका नहीं है, बल्कि भारत के लिए एक ऐसा समय है जब हमें पैरा खिलाड़ियों के लिए बेहतर ढांचे और ट्रेनिंग सुविधाओं में लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह चैंपियनशिप भारत को वैश्विक मंच पर दिखाने का मौका तो है ही, लेकिन इससे भी ज़्यादा यह हमारे देश में पैरा खेलों के लिए एक मजबूत और टिकाऊ सिस्टम बनाने का अवसर है।”
27 सितंबर से 5 अक्टूबर तक दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में होने वाले इस आयोजन में 100 से ज़्यादा देशों के 1,000 से अधिक एथलीट्स के भाग लेने की उम्मीद है। इसमें कुल 186 स्पर्धाएं होंगी, जो इसे भारत का अब तक का सबसे बड़ा पैरा-स्पोर्ट्स आयोजन बनाती हैं।
इससे पहले मार्च 2025 में दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रां प्री के आयोजन में भी पारुल सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। 20 देशों के 283 एथलीट्स वाले उस आयोजन को चैंपियनशिप की तैयारी के लिहाज़ से एक परीक्षण के तौर पर देखा गया था, जिसमें लॉजिस्टिक्स और पहुंच-योग्यता से जुड़े कार्यों में सिंह की सक्रिय भूमिका की काफी सराहना हुई थी।
चैंपियनशिप का आधिकारिक लॉन्च कार्यक्रम 20 जून को शुरू हुआ, जब पारुल सिंह ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और सांसद कंगना रनौत के साथ शुभंकर “विराज” का अनावरण किया। इस दौरान वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स के प्रमुख पॉल फिट्ज़गेराल्ड भी मौजूद रहे। ब्लेड प्रोस्थेसिस वाले एक हाथी के रूप में यह शुभंकर आत्मबल और अनुकूलनशीलता का प्रतीक है।
पारुल सिंह लंबे समय से पैरा खेलों के लिए ज़रूरी नीतिगत और सामाजिक बदलावों की वकालत करती आ रही हैं। “1.4 अरब की आबादी वाले देश में हमारे पैरा एथलीट्स अब भी हाशिए पर हैं। यह चैंपियनशिप उस सोच को बदलने का मौका है,” उन्होंने कहा।
उनका प्रयास सिर्फ़ दिल्ली तक सीमित नहीं है। वह अन्य राज्यों के नेताओं से भी मिल रही हैं ताकि पूरे देश से खिलाड़ियों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके और पैरा-स्पोर्ट्स के लिए संसाधन जुटाए जा सकें। यह प्रयास भारत की 2036 ओलंपिक्स और पैरालंपिक्स की मेज़बानी की संभावनाओं को भी मज़बूती देगा।
कोबे 2024 चैंपियनशिप में भारत के लिए पदक जीत चुके एथलीट्स—प्रवीण कुमार (हाई जंप T64) और नवदीप सिंह (जैवेलिन F41)—दिल्ली में होने वाले इस आयोजन में भारत की उम्मीदों का केंद्र होंगे। कोबे में भारत ने 17 पदक जीते थे, जिनमें 6 स्वर्ण शामिल थे।
इस बीच इंडियन ऑयल समेत कई संस्थानों ने चैंपियनशिप को समर्थन देना शुरू कर दिया है। पारुल सिंह अब आयोजन से जुड़े हर पहलू—ट्रांसपोर्ट, वॉलंटियर ट्रेनिंग, ठहरने की व्यवस्था, मीडिया कवरेज—की निगरानी कर रही हैं।
चैंपियनशिप में अब सिर्फ़ कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में पारुल सिंह का नेतृत्व न सिर्फ़ दिल्ली, बल्कि पूरे देश में समावेशी खेल संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कड़ी बन गया है। उनके लिए यह आयोजन केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि देश के करोड़ों दिव्यांगजनों को केंद्र में लाने का मौका है—एक ऐसा मंच जहां हर बाधा के पार जाने की उम्मीद है।