रामालया और JPSR प्रभु श्रीराम ने यूनेस्को की घोषणा को सांस्कृतिक विजय बताया
नई दिल्ली: यूनेस्को द्वारा दीपावली को सांस्कृतिक धरोहर घोषित किए जाने के बाद पूरे भारत में खुशी का माहौल है।
यूनेस्को की यह मान्यता यह दर्शाती है कि दीपावली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक प्राचीन परंपरा है जो लोगों को जोड़ती है। यह अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दीपावली हजारों वर्षों से मनाई जा रही है और यह भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत के यूनेस्को में राजदूत, श्री विशाल वी. शर्मा, ने इस मान्यता को संभव बनाने में अहम भूमिका निभाई।
रामालया और इसकी सांस्कृतिक खुशबू ब्रांड JPSR प्रभु श्रीराम इस मान्यता पर गर्व महसूस कर रहे हैं। दोनों ब्रांड भारतीय आध्यात्मिकता, कहानियों और विरासत को विश्वभर में साझा करने पर केंद्रित हैं। रामायण कलेक्शन से लेकर मंदिर-प्रेरित अगरबत्तियों तक, रामालया उन मूल्यों और कहानियों को उजागर करता है जिन्हें दीपावली दर्शाती है।
प्रशांत कुमार, CMD Mode Retails एवं संस्थापक रामालया और JPSR प्रभु श्रीराम, ने कहा:
“यूनेस्को द्वारा दीपावली की मान्यता यह दर्शाती है कि आज भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत कितनी महत्वपूर्ण है। हम खुशबू, कहानियों और अनुभवों के माध्यम से भारत की संस्कृति को संरक्षित और साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह हमें प्रेरित करता है कि हम भारत की सांस्कृतिक विलासिता को विश्व के सामने प्रस्तुत करें।”
भविष्य की योजनाओं के संदर्भ में, रामालया वैश्विक स्तर पर और अधिक लोगों तक अपनी पहुँच बनाने की योजना बना रहा है। इसमें नई कहानी-केंद्रित अनुभव तैयार करना, खुशबू संग्रह का विस्तार, भारतीय हवाई अड्डों और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्रों पर नए स्टोर खोलना, और पर्यटन निकायों तथा विश्वभर में भारतीय समुदायों के साथ सहयोग करना शामिल है। यह मान्यता भारत के लिए गर्व का क्षण है और अपनी समृद्ध संस्कृति को दुनिया के साथ साझा करने की एक नई शुरुआत है।




