नई दिल्ली, 2 अगस्त, 2025:
ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC) देश के 78 लाख पेंशनरों की मांगों को लेकर 4 और 5 अगस्त को जंतर-मंतर पर दो दिवसीय धरना-प्रदर्शन करेगी। सरकार द्वारा बार-बार न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का आश्वासन दिए जाने के बावजूद कोई ठोस कदम न उठाए जाने से पेंशनरों में भारी रोष है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली में आयोजित एक प्रेस वार्ता में NAC के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राऊत ने कहा,
“पिछले 10 वर्षों से बुज़ुर्ग पेंशनर सड़कों पर हैं, लेकिन सरकार आज भी हमारी ज़रूरतों की अनदेखी कर रही है। हम भीख नहीं मांग रहे—हम अपना हक़ मांग रहे हैं: ₹7,500 की न्यूनतम पेंशन, महंगाई भत्ता और मुफ्त चिकित्सा सुविधा। अब हमारी सहनशक्ति की सीमा समाप्त हो गई है।
“उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उच्च पेंशन से जुड़े निर्णय की EPFO द्वारा की जा रही मनमानी व्याख्या पर भी सवाल उठाया और कहा,
“न्यायालय ने तो हमें न्याय दिया, लेकिन EPFO की गलत व्याख्या के चलते लाखों पेंशनरों को उनका कानूनी हक़ नहीं मिल रहा। श्रम मंत्री और वित्त मंत्री से कई बार बैठकें हुईं, लेकिन हर बार हमें कार्यवाही की जगह सिर्फ़ आश्वासन मिला है।”
NAC के राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र सिंह राजावत ने कहा,
“हमारे बुजुर्ग साथी भोजन और दवा के बिना मर रहे हैं। हम कोई ऐशो-आराम नहीं मांग रहे, सिर्फ़ इतना चाहते हैं कि वो अपना वृद्ध जीवन गरिमा के साथ जी सकें। हर महीने हमारे साथी न्याय की आस में दुनिया छोड़ देते हैं। अब ये केवल पैसों का नहीं, इंसानियत का मुद्दा बन चुका है।”
महिला फ्रंट की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती सरिता नारखेड़े ने कहा,
“इस उपेक्षा का सबसे बड़ा असर वृद्ध महिलाओं, विशेषकर विधवाओं पर पड़ रहा है। वे अकेले जीवन काटने को मजबूर हैं—बिना चिकित्सा और बिना मदद। एक सम्मानजनक पेंशन और इलाज की व्यवस्था बहुत बड़ी मांग नहीं है। अब हमें आश्वासन नहीं, कार्रवाई चाहिए।”
यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और गैर-राजनीतिक होगा। प्रदर्शन में देश के 27 राज्यों के पेंशनर भाग लेंगे, और कई राजनीतिक दलों के सांसद भी पेंशनरों के समर्थन में जंतर-मंतर पहुंचेंगे।
प्रेस वार्ता में समिति के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी—राष्ट्रीय सचिव रमेश बहुगुणा, राष्ट्रीय सचिव राजीव भटनागर, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बी. एस. नारखेड़े, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष बी. एस. राणा और महाराष्ट्र समन्वयक संजय पाटिल भी उपस्थित रहे।





