शनिवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. पॉल ने गंभीर आरोप लगाते हुए दोनों नेताओं से जवाब देने की मांग की और PIL दायर किया।
नई दिल्ली: डॉ. के.ए. पॉल ने शनिवार को आंध्र भवन, नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी पर गंभीर आरोप लगाए। इस दौरान उन्होंने संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत किए, तिथियों का हवाला दिया और दोनों नेताओं से सार्वजनिक रूप से जवाब देने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की।
डॉ. पॉल ने दावा किया कि 5 जुलाई 2005 को सोनिया गांधी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के दबाव में महात्मा गांधी की भूमि बेचने का निर्णय लिया और भारत में प्रस्तावित ‘शांति मिशन’ को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा, “5 जुलाई 2005 वह दिन था जब सोनिया गांधी ने गांधी जी की भूमि पश्चिमी शक्तियों को सौंप दी। हाल ही में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी इस बारे में अवगत कराया गया है।”
तेलंगाना सरकार को लेकर डॉ. पॉल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार 8 से 10 दिसंबर 2025 को आयोजित ‘तेलंगाना राइजिंग’ समिट के दौरान लगभग 9,298 एकड़ सरकारी भूमि को कथित रूप से “बेनामी नेटवर्क्स” को कम कीमत पर बेचने या लीज़ पर देने की योजना बना रही है। उन्होंने इसे “तेलंगाना सिंकिंग समिट” बताते हुए कहा कि यह राज्य की ₹5 लाख करोड़ मूल्य की भूमि के हितों के खिलाफ है और इस मामले की विस्तृत जांच की मांग की।
डॉ. पॉल ने बताया कि उन्होंने पिछले दो वर्षों में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से सात बार मुलाकात की और कई पत्र भेजे, लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उन्होंने सोनिया गांधी और रेवंत रेड्डी को 15 दिनों के भीतर सार्वजनिक स्पष्टीकरण देने की समय-सीमा दी है।
यदि समय पर कोई जवाब नहीं मिलता है, तो डॉ. पॉल ने चेतावनी दी कि वह नई दिल्ली स्थित हेराल्ड हाउस से देशव्यापी अभियान “गांधी भूमि वापसी – तेलंगाना भूमि बचाओ” की शुरुआत करेंगे।





