लोक संस्कृति, हस्तशिल्प और जीविका समूहों के उत्पादों ने खींचा दर्शकों का ध्यान
नई दिल्ली:
नई दिल्ली के भारत मंडपम में आज अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के अंतर्गत बिहार दिवस उत्साहपूर्वक आयोजित हुआ। इस अवसर पर उद्योग विभाग और बिहार सूचना केंद्र ने संयुक्त प्रेस वार्ता और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले आयोजित प्रेस वार्ता को दिल्ली में बिहार सरकार के स्थानिक आयुक्त एवं बिहार सरकार के इनवेस्टमेंट कमिश्नर व बिआडा ( बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट ऑथोरिटी) के एम डी श्री कुंदन कुमार ( आई ए एस) एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव श्री अनिल कुमार ने संबोधित किया l प्रेस वार्ता का संचालन बिहार सूचना केंद्र, दिल्ली ने किया I इस अवसर पर बिहार पवेलियन के निदेशक संजय कुमार सिंह सहित उद्योग विभाग के कई पदाधिकारी मौजूद रहे l
श्री कुंदन कुमार ने बताया कि बिहार पवेलियन इस वर्ष की थीम “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के अनुरूप तैयार किया गया है। पवेलियन राज्य की सांस्कृतिक विरासत और विकास उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है। बिहार के लोक कलाकारों ने इसे सजाया है, जिसमें प्रस्तावित सीतामाता मंदिर, पावापुरी मंदिर और महाबोधि मंदिर के मॉडल के साथ राजगीर का विश्व शांति स्तूप और पटना मेट्रो जैसे प्रतीक शामिल हैं। केंद्रीय हॉल में बिहार संग्रहालय से प्रेरित प्रदर्शनी भी दर्शकों का विशेष आकर्षण बनी हुई है।
इस अवसर पर श्री कुंदन कुमार ने निवेशकों को बिहार में उद्योग और व्यापार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि बिहार इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट पॉलिसी 2025 निवेशकों के लिए अत्यंत आकर्षक है। उन्होंने कहा कि ₹100 करोड़ निवेश और 1,000 नौकरियों वाले निवेशकों को 10 एकड़ भूमि मात्र ₹1 में प्रदान की जाएगी, ₹1,000 करोड़ निवेश करने वालों को 25 एकड़ भूमि दी जाएगी और फॉर्च्यून 500 कंपनियों को ₹200 करोड़ निवेश पर 10 एकड़ भूमि आवंटित की जाएगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बिहार जीएसटी और अन्य प्रोत्साहनों के माध्यम से निवेशकों के लिए विशेष रूप से अनुकूल राज्य बनता जा रहा है।
बिहार पवेलियन में कुल 65 स्टॉल स्थापित किए गए हैं, जिनमें हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, बिहार खादी बोर्ड, जीविका, बीआईएडीए, पर्यटन विभाग और निजी उद्यम शामिल हैं। पवेलियन में जीविका महिला समूह, आम्रपाली इंपोरियम, सुधा डेयरी, कतरनी, स्वर्ण मंसूरी और सोनम जैसी चावल की विविधताएं तथा अन्य हस्तशिल्प उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। लाइव लोक प्रदर्शन दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, जबकि “दीदी की रसोई”, जो जीविका स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित है, पारंपरिक बिहारी व्यंजन परोस रही है। इस वर्ष पवेलियन ने विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी और उनके योगदान को प्रमुखता दी है।
बिहार पवेलियन का समग्र निर्माण बिहार सरकार के उद्योग विभाग के उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान द्वारा आईटीपीओ की थीम “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के अनुरूप किया गया है।





