स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज बोले— “वेद ही भारतीय संस्कृति का प्राण हैं”
पुणे | 18 नवंबर 2025
भरतात्मा श्री अशोकजी सिंघल की स्मृति में आयोजित भरतात्मा वेदा अवॉर्ड्स 2025 का आयोजन पुणे के दादासाहेब दारोड़े ऑडिटोरियम में किया गया। समारोह में स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज मुख्य उपस्थित थे, जबकि आचार्य प्रद्युम्नजी महाराज मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
अपने संबोधन में स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज ने कहा कि वेद भारत की आत्मा हैं, और विश्व का ज्ञान प्रवाह भी इन्हीं वेदों से निकला है। उन्होंने कहा कि वेद भारतीय संस्कृति की जड़ हैं और यही अशोकजी सिंघल के जीवन का भी सार रहे।
सलील सिंघलजी, सिंघल फाउंडेशन के मुख्य ट्रस्टी, ने अवॉर्ड्स की नौ वर्ष की यात्रा और उसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अवॉर्ड्स तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं—उत्कृष्ट वेद विद्यार्थी (₹3 लाख), आदर्श वेद शिक्षक (₹5 लाख) और श्रेष्ठ वेद संस्था (₹7 लाख)—और पूरा चयन प्रक्रिया ऑनलाइन होती है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
2025 के पुरस्कार विजेता
उत्कृष्ट वेद विद्यार्थी: नोरी केदारेश्वर शर्मा (हैदराबाद), कृष्ण यजुर्वेद—तैत्तिरीय शाखा के विद्वान, वेदांग, संस्कृत ग्रंथ और व्याकरण के विशेषज्ञ।
आदर्श वेद शिक्षक: अनंता कृष्ण भट्ट (चेन्नई), न्याय, मीमांसा और कृष्ण यजुर्वेद के प्रतिष्ठित विद्वान।
श्रेष्ठ वेद संस्था: श्री दत्तात्रेय वेद विद्यालय (राजमहेंद्रवरम), पिछले 25 वर्षों से परंपरागत कृष्ण यजुर्वेद शिक्षण के लिए प्रसिद्ध।
शॉर्टलिस्ट में संबाजीनगर के केदारेश्वर शर्मा, पुणे के श्रीनिधि धायगुडे, श्री अनंता शिवराम धायगुडे, तथा विलुप्पुरम और कपिलेश्वरपुरम की दो संस्थाएँ शामिल थीं।
यह अवॉर्ड भारतीय वेद परंपरा के संरक्षण और प्रसार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।





