
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सुशासन का दावा इस बार सवालों के घेरे में आ गया है। राज्य की राजनीति में तहलका मच गया जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद सुधाकर सिंह ने शुक्रवार को सरकार के दो उच्च अधिकारियों पर करोड़ों रुपये के घोटाले का गंभीर आरोप लगाया।
अधिकारियों पर लगे घोटाले के आरोप, पीएम से होगी शिकायत
सांसद सुधाकर सिंह ने आरोप लगाया कि एक निजी कंपनी और एक एनजीओ की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री के दो विश्वसनीय अधिकारी शामिल हैं। बक्सर से लोकसभा सांसद सुधाकर सिंह ने कहा, “मैं इस बड़े घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए जल्द ही प्रधानमंत्री कार्यालय, सीएजी, लोकपाल और संसद में ज्ञापन दूंगा।”
बिहार ग्रीन डेवलपमेंट फंड: घोटाले का केंद्र बिंदु?
सुधाकर सिंह का कहना है कि हाल ही में पेश किए गए बिहार सरकार के बजट में ‘बिहार ग्रीन डेवलपमेंट फंड’ के नाम पर घोटाले को अंजाम दिया गया। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार की बेटी ईशा वर्मा, जो कि हाल ही में स्थापित की गई कंपनी ‘बोधी सेंटर फॉर सस्टेनेबल ग्रोथ प्राइवेट लिमिटेड’ की मालिक हैं, को इस फंड से 25 करोड़ रुपये का सीधा लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई।
इसके अलावा, बिहार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। सुधाकर सिंह ने कहा कि आनंद किशोर, जिनकी शादी दीपक कुमार की बहन से हुई है, ने बिना किसी निविदा या कानूनी प्रक्रिया के ईशा वर्मा की कंपनी को वित्त विभाग में काम करने की अनधिकृत अनुमति दी।
नीतीश कुमार पर दबाव, क्या वह करेंगे कार्रवाई?
इस सनसनीखेज खुलासे के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि वह इन दोनों अधिकारियों को तत्काल बर्खास्त करें। सुधाकर सिंह ने साफ तौर पर कहा, “अगर मुख्यमंत्री इस मामले में कार्रवाई नहीं करते हैं, तो यह माना जाएगा कि वह खुद भी इस घोटाले में शामिल हैं।”
अब सवाल यह है कि नीतीश कुमार इस घोटाले पर क्या रुख अपनाएंगे? क्या दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा? आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है।
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