संशोधित वक्फ़ बिल से ग़रीब मुसलमानों का होगा भला: विद्यार्थी संगठन

 

जामिया के विद्यार्थी संगठन ‘शहर-ए-आरज़ू’ ने वक्फ बिल का किया समर्थन

नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विद्यार्थी संगठन ‘शहर-ए-आरज़ू’ ने आज जामिया परिसर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संसद द्वारा पारित वक्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 का समर्थन किया। संगठन के पदाधिकारियों ने इस विधेयक को आम मुसलमानों, विशेष रूप से गरीबों, महिलाओं और जरूरतमंदों के हित में बताया। उनका कहना था कि यह विधेयक वक्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और पारदर्शी प्रशासन को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘शहर-ए-आरज़ू’ के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक का विरोध वे लोग कर रहे हैं जो वर्षों से वक्फ़ संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा जमाए बैठे हैं। संगठन ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अरबों रुपये की वक्फ़ संपत्ति होने के बावजूद भारतीय मुसलमानों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्टों का हवाला देते हुए संगठन के सदस्यों ने कहा कि आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति दलितों से भी बदतर बनी हुई है।

विधेयक से होगा मुसलमानों का लाभ

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ‘शहर-ए-आरज़ू’ के बज़मी ख़ान ने कहा कि यदि वक्फ़ संपत्तियों का सही उपयोग होता तो आज देशभर में उच्च स्तरीय मुस्लिम स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अस्पताल होते। उन्होंने जोर देकर कहा कि नए संशोधित विधेयक से वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और समुदाय को इसका समुचित लाभ मिलेगा।

विधेयक से मुस्लिम समुदाय को मिलने वाले प्रमुख लाभों को रेखांकित करते हुए ‘शहर-ए-आरज़ू’ के सदस्य नाज़नीन फ़ातिमा ने कहा:

1. शिक्षा और कौशल विकास: मुस्लिम लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति, महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम और उद्यमिता में सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे उनके आर्थिक और सामाजिक स्तर में सुधार होगा।
2. महिला सशक्तिकरण: मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल, मातृत्व कल्याण और विधवा पेंशन जैसी योजनाएं लागू की जाएंगी।
3. गरीबों का उत्थान: वक्फ़ संपत्तियों का सही उपयोग कर गरीब मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिए विभिन्न सामाजिक और आर्थिक कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।
4. पारदर्शी प्रबंधन: वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक सुधार किए जाएंगे, जिससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान
‘शहर-ए-आरज़ू’ के शहज़ान असग़र ने विधेयक के प्रमुख प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा:
1. वक्फ़ परिषदों में सभी क्षेत्रों के योग्य लोगों का समावेश: केंद्रीय वक्फ़ परिषद और राज्य वक्फ़ बोर्डों में विभिन्न क्षेत्रों के योग्य व्यक्तियों को शामिल किया गया है, जिससे इन निकायों की संरचना अधिक समावेशी बनी है।
2. महिला प्रतिनिधित्व में वृद्धि: विधेयक में मुस्लिम महिला सदस्यों की न्यूनतम संख्या सुनिश्चित की गई है, जिससे महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
3. वक्फ़ संपत्तियों का पारदर्शी प्रबंधन: संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वेक्षण आयुक्त के स्थान पर अब योग्य अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे, जिससे प्रबंधन अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी होगा।
4. वक्फ़ ट्रिब्यूनल के आदेशों के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील का प्रावधान: अब वक्फ़ ट्रिब्यूनल के निर्णयों के विरुद्ध 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
5. महिला उत्तराधिकारियों के अधिकारों की सुरक्षा: विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ़ संपत्तियों में महिला उत्तराधिकारियों के अधिकार सुरक्षित रहें।
6. वक्फ़ संपत्तियों की पंजीकरण प्रक्रिया का आधुनिकीकरण: वक्फ़ संपत्तियों के पंजीकरण, ऑडिटिंग और लेखांकन के लिए केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस की स्थापना की जाएगी।

छात्र संगठन ने किया अपील
‘शहर-ए-आरज़ू’ के बज़मी ख़ान, नाज़नीन फ़ातिमा, शहज़ान असग़र, मोहम्मद आसिफ़, ज़ोया, अमन आदि छात्रों ने मुसलमानों से इस विधेयक को सकारात्मक रूप से लेने और इसके प्रभावी क्रियान्वयन में सहयोग करने की अपील की। संगठन ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से वक्फ़ संपत्तियों का सही उपयोग संभव होगा, जिससे मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति में बड़ा बदलाव आएगा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में संगठन ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह इस विधेयक के प्रावधानों को शीघ्र लागू करे और वक्फ़ संपत्तियों के बेहतर उपयोग के लिए सख्त निगरानी तंत्र विकसित करे।

वक्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर ‘शहर-ए-आरज़ू’ का समर्थन इस बात का संकेत है कि युवा मुस्लिम वर्ग वक्फ़ संपत्तियों के सही प्रबंधन और उनके समाज के हित में उपयोग की दिशा में गंभीर है। इस विधेयक से पारदर्शिता बढ़ेगी, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और जरूरतमंदों को उनका हक मिलेगा। अब देखना यह है कि सरकार इसे कितनी प्रभावी तरीके से लागू कर पाती है और मुस्लिम समुदाय इस अवसर का कैसे लाभ उठाता है।

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