
विद्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को जोड़ेगा नमो केंद्र; छात्रों के विकास, शोध और नेतृत्व प्रशिक्षण पर रहेगा विशेष फोकस
1 मई, 2025, नई दिल्ली
विकसित भारत 2047 के संकल्प को गति देने और युवाओं को राष्ट्र निर्माण से जोड़ने के उद्देश्य से नरेंद्र मोदी अध्ययन केंद्र (नमो केंद्र) ने देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए संस्थागत शैक्षणिक सदस्यता कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह सदस्यता कार्यक्रम 2025-2027 के दो शैक्षणिक वर्षों के लिए लागू होगा, जिसमें सरकारी और निजी – सभी प्रकार के शिक्षण संस्थान भाग ले सकते हैं।
इस पहल का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों को एक साझा विचार परिवार में शामिल करना है जो “एकजुट, मजबूत और मूल्य-आधारित भारत” के सपने को साझा करते हैं। नमो केंद्र के अध्यक्ष प्रोफेसर जसीम मोहम्मद ने बताया कि यह सदस्यता शिक्षा को पुस्तकीय ज्ञान से आगे ले जाकर चरित्र निर्माण, राष्ट्रीय जिम्मेदारी और मूल्यों पर आधारित विकास की दिशा में ले जाएगी।
विशेष लाभ
इस सदस्यता के तहत शिक्षण संस्थानों को विशेषज्ञ व्याख्यान, नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यशालाएं, छात्र विनिमय कार्यक्रम, शोध प्रकाशन के अवसर और राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी जैसे कई लाभ मिलेंगे। प्रो. मोहम्मद ने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे छात्र केवल डिग्रीधारी न बनें, बल्कि जिम्मेदार, विचारशील और सशक्त नागरिक बनें।”
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सलाहकार परिषद की सदस्य प्रो. दिव्या तंवर ने जानकारी दी कि नमो केंद्र संस्थानों के लिए डिजिटल सुरक्षा, नवाचार, सार्वजनिक नीति और संचार कौशल जैसे क्षेत्रों में विशेष कार्यशालाओं का आयोजन करेगा। इसके साथ ही छात्रों को राष्ट्रीय और वैश्विक नेताओं के साथ संवाद करने के अवसर भी मिलेंगे, जिससे उनमें नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता का विकास हो सकेगा।
आवेदन प्रक्रिया सरल
नमो केंद्र के ट्रस्टी डॉ. दौलत राम शर्मा ने बताया कि सदस्यता के लिए आवेदन प्रक्रिया बेहद सरल रखी गई है। इच्छुक संस्थानों को केवल ईमेल के माध्यम से अपनी रुचि जाहिर करनी होगी। समीक्षा के बाद चयनित संस्थानों को दो वर्ष की सदस्यता और केंद्र की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी का अवसर प्रदान किया जाएगा।
संस्था की सचिव डॉ. निकहत परवीन ने सभी शिक्षण संस्थानों से इस पहल में भाग लेने का आह्वान करते हुए कहा, “हम उन संस्थानों का स्वागत करते हैं जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को अपनाते हुए मूल्य-आधारित शिक्षा में विश्वास रखते हैं।”
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