
जीवन में सुख-शांति के लिए परमात्मा को हृदय में बसाएं – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
यदि मन में प्रसन्नता और संतोष बना रहे, तो हर ओर शांति और आनंद का अनुभव होता है। इसके लिए परमात्मा को अपने हृदय में स्थान देना आवश्यक है।” यह प्रेरणादायक संदेश निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पश्चिम बंगाल प्रांतीय संत समागम के समापन सत्र में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए दिया। इस दो दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन में कोलकाता सहित राज्य के विभिन्न जिलों से भक्तों ने भाग लेकर सतगुरु के आशीर्वचनों का लाभ प्राप्त किया।
प्रेम, भाईचारे और आध्यात्मिकता से भरपूर जीवन का संदेश
सतगुरु माता जी ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि संतजन सदैव परमात्मा से जुड़े रहते हैं और प्रेम, समर्पण व भाईचारे को अपनाकर एक सुखद जीवन जीते हैं। उन्होंने कहा कि सच्चा जीवन वही है, जिसमें परमात्मा का प्रेम और भक्ति का वास हो। अतः हमें प्रेम, श्रद्धा और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जीवन में सौहार्द और संतोष के पुल बनाने चाहिए। यही मार्ग हमें सुख, शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है।
गृहस्थ जीवन में रहकर सेवा और भक्ति का संदेश
सतगुरु माता जी ने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे निरंकार प्रभु की पहचान के बाद गृहस्थ जीवन में रहकर समाज और परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन करें। साथ ही, सेवा, सुमिरण और सत्संग के माध्यम से भक्ति को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं।
संगीत, काव्य और प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
समागम के दौरान विभिन्न वक्ताओं, कवियों और गीतकारों ने हिंदी, अंग्रेजी और बंगला में भक्ति और गुरु महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया।
साथ ही, विशेष रूप से सुसज्जित निरंकारी प्रदर्शनी और बाल प्रदर्शनी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस प्रदर्शनी में प्रभावशाली मॉडल, दुर्लभ फोटोग्राफ्स और रचनात्मक प्रस्तुतियों के माध्यम से निरंकारी मिशन के गौरवशाली इतिहास और आध्यात्मिक संदेश को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया, जो भक्तों के लिए एक अनूठा अनुभव साबित हुआ।
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