
लखनऊ में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पुस्तक विमोचन समारोह में उपराष्ट्रपति का संबोधन
1 मई 2025, नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को लखनऊ में कहा कि उन्हें चुनौतियों से डर नहीं लगता और संविधान का पालन करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। वे उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की आत्मकथा ‘चुनौतियां मुझे पसंद हैं’ के विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, “संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में कोई कोताही स्वीकार नहीं की जा सकती। मुझे मुफ़्त में कोई चीज़ लेने की आदत नहीं है और चुनौतियों से भागना मेरी प्रवृत्ति नहीं है।” उन्होंने इस दौरान न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच समन्वय पर बल देते हुए कहा कि “संविधान टकराव नहीं, संवाद और संतुलन की अपेक्षा करता है।”
उपराष्ट्रपति ने इमरजेंसी काल को लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय दौर बताया और मौलिक अधिकारों की रक्षा को सर्वोपरि बताया। हाल की एक पीड़ादायक घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि “कोई भी व्यक्ति तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक वह अपराधी सिद्ध न हो जाए।”
संवैधानिक संस्थाओं पर की जा रही अनुचित टिप्पणियों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल की शपथ का स्वरूप अन्य जनप्रतिनिधियों से अलग और अधिक जिम्मेदारियों वाला होता है। “इन पदों की गरिमा बनाए रखना हमारा साझा दायित्व है,” उन्होंने कहा।
न्यायपालिका के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने चार दशक वकालत में बिताए हैं और न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की मजबूती का पैमाना है। उन्होंने सभी संवैधानिक संस्थाओं से सहयोग, समन्वय और संवाद की भावना से कार्य करने की अपील की।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना, उपराष्ट्रपति की धर्मपत्नी श्रीमती सुदेश धनखड़ और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।