
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण NHAI (एनएचएआई) ने पूर्वोत्तर भारत के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए गुवाहाटी रिंग रोड परियोजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना को बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) टोल मॉडल के तहत ₹5,729 करोड़ की लागत से विकसित किया जाएगा। एनएचएआई अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में मेसर्स दिनेशचंद्र आर अग्रवाल इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड के साथ इस परियोजना को लागू करने के लिए रियायत समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
परियोजना की अवधि और राज्य सरकार का योगदान
गुवाहाटी रिंग रोड 121 किलोमीटर लंबा होगा और इसे बिना किसी सरकारी अनुदान के विकसित किया जाएगा। निर्माण कार्य की अवधि चार वर्ष होगी, जबकि रियायत समझौते की कुल अवधि 30 वर्ष तय की गई है। असम सरकार परियोजना के लिए महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करेगी—भूमि लागत का 50% वहन करेगी, रॉयल्टी में छूट देगी और जीएसटी में लगभग ₹1,270 करोड़ का योगदान देगी। इस प्रकार, कुल परियोजना लागत लगभग ₹7,000 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
परियोजना के प्रमुख घटक
इस मेगा-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में तीन मुख्य खंड होंगे:
- उत्तर गुवाहाटी बाईपास: 56 किलोमीटर लंबा, चार-लेन एक्सेस-कंट्रोल्ड हाईवे।
- एनएच-27 बाईपास चौड़ीकरण: मौजूदा 8 किलोमीटर बाईपास को चार लेन से छह लेन में परिवर्तित किया जाएगा।
- एनएच-27 सुधार कार्य: 58 किलोमीटर लंबे मौजूदा बाईपास का पुनर्विकास किया जाएगा।
इसके अलावा, परियोजना के अंतर्गत ब्रह्मपुत्र नदी पर 3 किलोमीटर लंबा एक महत्वपूर्ण पुल भी बनाया जाएगा, जिससे यात्रा सुगम और तेज होगी।

परियोजना से पूर्वोत्तर क्षेत्र को लाभ
गुवाहाटी रिंग रोड से NH-27 के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर पर यातायात को सुगम बनाया जाएगा। यह परियोजना बिहार और पश्चिम बंगाल से सिलचर, त्रिपुरा और नगालैंड की ओर जाने वाले भारी यातायात को डायवर्ट कर गुवाहाटी शहर की भीड़भाड़ कम करेगी। साथ ही, यह सिलीगुड़ी, सिलचर, शिलांग, जोरहाट, तेजपुर, जोगीगोफा और बारपेटा जैसे प्रमुख शहरों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
बीओटी मॉडल और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा
भारत सरकार बीओटी (टोल) मॉडल को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। हाल ही में, इस मॉडल के तहत कई संशोधन किए गए हैं, जिससे निजी कंपनियों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सके। गुवाहाटी रिंग रोड परियोजना इन संशोधनों के बाद हस्ताक्षरित पहला अनुबंध है और भविष्य में इसी तरह की कई और परियोजनाओं के लिए रास्ता तैयार करेगा।
‘विजन 2047’ और हाई-स्पीड कॉरिडोर
भारत सरकार के ‘विजन 2047’ के तहत देशभर में कई हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित करने की योजना है। इस दृष्टि को साकार करने के लिए मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी आवश्यक होगी, जिससे भारत में विश्व स्तरीय राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के निर्माण, संचालन और रखरखाव को नई गति मिलेगी।